Monday, December 8, 2025

बाल विवाह का टूटा रहा मिथक, कम हुए आंकड़े, जागरूकता फैलाने में जुटा है विभाग

कोरबा। कच्ची उम्र में बेटियों के हाथ पीले करने वाले परिवारों में अब यह चलन कम होने लगा है। बेटी के समझदार होने पर ही उसे पिया के घर भेजने में परिवार विश्वास कर रहे है। विभाग इसके लिए जागरूकता अभियान चला रहा है। दावा किया जा रहा है कि अभियान से बाल विवाह के मामलों में कमी आई है।
बाल विवाह को लेकर अलग अलग कारण और तर्क दिए जाते रहे है। समय बदलने पर ऐसे लोगों को बताया जाता रहा है कि आखिर कम उम्र में विवाह करने के दुष्परिणाम क्या होते हैं। इन सबके बावजूद पिछले वर्ष कोरबा जिले में 14 बाल विवाह के मामले प्रकाश में आए। जिला बाल संरक्षण अधिकारी दया दास महंत ने बताया कि इनमें से चार प्रकरण में संबंधित को बालिग पाया गया। इस वर्ष बाल विवाह का एक मामला हमारी जानकारी में आया है। अधिकारी ने स्वीकार किया कि समय के साथ मान्यताएं बदल रही हैं और लोगों में जागरूकता आ रहे हैं इसलिए भी बाल विवाह की घटनाएं पिछले वर्षो की तुलना में कम हो रहे हैं यह अच्छी बात है। किसी भी कीमत में बाल विवाह ना होने पाए इसे देखने के लिए निगरानी तंत्र बना हुआ है बाल संरक्षण के साथ-साथ आईसीडीएस पुलिस और प्रशासन की टीम ऐसे मामलों में जरूरी कार्रवाई करती है। सरकार ने पिछले दिनों विवाह के लिए लड़कियों की उम्र 21 वर्ष कर दिया है, जो पहले 18 वर्ष थी। सरकार ने इस मामले मैं सभी पक्षों को सार्वजनिक किया है और आधार स्पष्ट किया है कि ऐसा करने के पीछे मंशा क्या है और इससे लाभ क्या होंगे।

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