|
|
|||
बुजुर्ग माँ पिता की वर्तमान में स्थिति
—————————— —————–
*कार से उतरकर भागतें हुए,हाँफते हुए हॉस्पिटल में पहुँचें*
*नौजवान बिजनेस मैन ने पूछा..*
*“डॉक्टर,*
*अब कैसी हैं माँ?“*
*“अब ठीक हैं*
*माइनर सा स्ट्रोक था।*
*ये बुजुर्ग लोग उन्हें सही समय पर लें आये, वरना कुछ बुरा भी हो सकता था …।*
*डॉं ने पीछे बेंच पर बैठे दो बुजुर्गों की तरफ इशारा कर के जवाब दिया ….।*
*फिर**वो नौजवान उन बुजुर्गों की तरफ मुड़ा*
*थैंक्स अंकल,
* पर मैनें आप दोनों को नहीं पहचाना*
*“सही कह रहे हो बेटा,*
*तुम नहीं पहचानोगें*
*क्योंकि*
*हम तुम्हारी माँ के वाट्सअप फ्रेंड हैं ।”*
*एक ने बोला*
*“क्या, वाट्सअप फ्रेंड ?*
*चिंता छोड़ , उसे अब अचानक से अपनी माँ पर गुस्सा आया।*
सिक्सटी प्लस* नॉम का वाट्सप ग्रुप है हमारा…”*
इस ग्रुप में साठ साल व इससे ज्यादा उम्र के लोग जुड़े हुए हैं* *इससे जुड़े हर मेम्बर को उसमे रोज एक मेसेज भेज कर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी अनिवार्य होती है!*
*साथ ही*
*अपने आस पास के बुजुर्गों को इसमें जोड़ने की भी ज़िम्मेदारी दी जाती है।”*
*“महीने में एक दिन हम सब किसी पार्क में मिलने का भी प्रोग्राम बनाते हैं।”*
*“जिस किसी दिन कोई भी मेम्बर मैसेज नहीं भेजता है तो उसी दिन उससे लिंक लोगों द्वारा, उसके घर पर, उसके हाल चाल का पता लगाया जाता है।”*
*आज सुबह तुम्हारी माँ का मैसेज न आने पर हम 2 लोग उनके घर पहुंच गए..।*
*नौजवान गम्भीरता से सुन रहा था*
*“पर माँ ने तो कभी नहीं बताया।उसने धीरे से कहा।*
तब एक बुजुर्ग ने कहा *माँ से अंतिम बार तुमने कब बात की थी बेटा?*
*क्या तुम्हें याद है?*
*बिज़नेस में उलझा,* तीस मिनट की दूरी पर बने माँ के घर जाने का समय निकालना कितना मुश्किल बना लिया था खुद उसने*
*हाँ पिछली दीपावली को ही तो मिला था वह उनसे गिफ्ट देने के नाम पर।*
*बुजुर्ग बोले*
*“बेटा, तुम सबकी दी हुई सुख सुविधाओं के बीच, अब कोई और माँ या बाप अकेले घर मे कंकाल न बन जाएं…*
*बस*
*यही सोच ये ग्रुप बनाया है हमने।*
*वरना*
*दीवारों से बात करने की तो हम सब की आदत पड़ चुकी है।”*
*उसके सर पर हाथ फेर कर दोनों बुज़ुर्ग अस्पताल से बाहर की ओर निकल पड़े।*
*नवयुवक एकटक उनको जाते हुए देखता ही रह गया।*
*अगर ये आपको कुछ सीख दे तो कृपया किसी और को भी भेजने में संकोच ना करे..?*


