17वें प्रवासी भारतीय दिवस के तहत इंदौर में चल रहे तीन दिवसीय प्रवासी भारतीय सम्मेलन का आज तीसरा और अंतिम दिन है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सुबह 11.45 बजे इंदौर पहुंची। वे दोपहर के सत्र में कार्यक्रम में शामिल होंगी। वे विदाई भाषण के साथ ही मेहमानों को प्रवासी भारतीय अवॉर्ड प्रदान करेंगी। यह पुरस्कार विदेश में भारत के बारे में बेहतर समन्वय बनाने, भारत की उपलब्धियों का समर्थन करने और भारतीय समुदाय के कल्याण के लिए काम करने वाले प्रवासी भारतीय और उनके संगठन और संस्था को दिए जाते हैं।
समापन समारोह से पहले राष्ट्रपति मुर्मू, सूरीनाम गणराज्य के राष्ट्रपति चन्द्रिका प्रसाद संतोखी और गुयाना गणराज्य के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफान अली से भेंट करेंगी। इस मौके पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल द्वारा भोज का आयोजन किया गया है।


अंतिम सत्र में विदेश मंत्री एस जयशंकर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया संबोधित करेंगे। इसके बाद राष्ट्रपति प्रवासी भारतीयों को अवार्ड देने के साथ ही प्रवासियों को संबोधित करेंगी। आभार प्रदर्शन विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन करेंगे।
दूसरा सत्र शुरू
– महिला प्रवासियों को लेकर दूसरा सेशन शुरू हुआ। मंत्री निर्मला सीतारमन संबोधित कर रही हैं।
पहला सत्र
पहले सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्किल डेवलपमेंट और इंटरप्रिन्योरमंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा की चौथी सदी में ही उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने ग्रहों की गणना कर दी थी। वाराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त, भास्कराचार्य जैसे विद्वानों ने ग्लोबल मैप की परिकल्पना कर ली थी। ये हम सब मानते हैं, भारत विश्वगुरु था। हम अब जब भी विश्वगुरु बनने की बात करते हैं तो हमारी बातों में सैन्य ताकत से विश्व गुरु बनने की बात कहीं नहीं होती। इसमें इंटलेक्चुअल ताकत की बात करते हैं। इस सोच से नवाचार आता है। आप सब अनुभव करते होंगे कि दुनिया के कुछ हिस्सों में कुछ उत्पादकों के उत्पाद अप टू मार्क नहीं होते। ऐसे में इस 21वीं सदी में हमारा रोल महत्वपूर्ण हो जाता है। प्रधानमंत्री ने नई एजुकेशन पॉलिसी लागू की है। इससे भारत ग्लोबल मैनपॉवर बनाने वाला देश बनेगा।
प्रधान ने भारतीय उत्पादों और मैनपॉवर की क्वालिटी की बात करते हुए कहा, पड़ोस के देशों के माल के बारे में आज ये पूरी दुनिया के लोग चिंतित रहते हैं। कोविड के समय हमने देखा ग्ल्व्स, पीपीई किट आए, वे वैसे ही वापस कर दिए गए। भारत में ऐसे नहीं होता है। कोरोना के समय हम पीपीई किट नहीं बनाते थे आज हम इसके एक्सपोर्टर बन गए। हमें गेहूं खरीदना पड़ता था, पर अब हम एक्सपोर्ट करते हैं। कोरोना के समय 140 में से 40 देशों को मुफ्त में दवा सप्लाय की, ये भारत की ताकत है।
– फजीला रीवा दुरइमू, मॉरीशस की मंत्री ने संबोधित किया।
– खाड़ी देशों के बड़े उद्योगपति और लूलू ग्रुप के चेयरमेन युसूफ अली ने संबोधित किया। कहा खाड़ी देशों में रहने वाले भारतीय एक ही बात कहते हैं हमारा तन, मन और धन सब हिंदुस्तान में है।
प्रवासी सम्मेलन में हंगामे के बाद समापन के दिन बदली बैठक व्यवस्था


