भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपना सबसे छोटा रॉकेट SSLV-D2 लॉन्च कर दिया है। स्मॉल सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल (SSLV) की लॉन्चिंग शुक्रवार सुबह 9:18 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग सेंटर से हुई। SSLV-D2 तीन सैटेलाइट्स लॉन्च करने में कामयाब रहा। ये SSLV को लॉन्च करने की दूसरी कोशिश थी। इसके पहले 9 अगस्त 2022 को पहली कोशिश नाकाम रही थी।
SSLV ने जो 3 सैटेलाइट्स लॉन्च किए, उनमें अमेरिका जानूस-1, चेन्नई के स्पेस स्टार्ट अप का आजादी सैट-2 और इसरो का EOS-7 (अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट) शामिल है। SSLV-D2 पृथ्वी की लोअर ऑर्बिट में 15 मिनट तक उड़ान भरी, इसके बाद सैटेलाइट्स को 450 किलोमीटर दूर ऑर्बिट में छोड़ दिए हैं।
इसरो चीफ सोमनाथ ने SSLV-D2 की लॉन्चिंग के बाद कहा, “अब हमारे पास एक नया लॉन्च व्हीकल है। SSLV-D2 ने दूसरी कोशिश में सैटेलाइट्स को एकदम सही तरह से ऑर्बिट में छोड़ दिया है। तीनों सैटेलाइट टीमों को बधाई।”

SSLV का मकसद छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग
SSLV को डेवलप करने का मकसद छोटे सैटेलाइट लॉन्च करना है। इसके साथ ही पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का इस्तेमाल अब तक लॉन्चिंग में बहुत ज्यादा किया जाता है। SSLV के चलते अब यह बड़े मिशन के लिए फ्री हो सकेगा। SSLV 10 से 500 किलोग्राम के ऑब्जेक्ट को 500 किलोमीटर दूर प्लैनर ऑर्बिट में ले जा सकता