Rahul Gandhi Allegation , नई दिल्ली: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (LoP) राहुल गांधी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर लोकतांत्रिक परंपराओं को तोड़ने और असुरक्षा की भावना से काम करने का गंभीर आरोप लगाया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से ठीक पहले राहुल गांधी ने गुरुवार को संसद परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए यह दावा किया कि सरकार विदेश से आने वाले विशिष्ट गणमान्य व्यक्तियों (Foreign Dignitaries) से कहती है कि वे विपक्ष के नेता से मुलाकात न करें।
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राहुल गांधी ने कहा कि यह सरकार की सोची-समझी नीति बन चुकी है और यह कदम सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत ‘इनसिक्योरिटी’ (असुरक्षा) को दर्शाता है।
🇷🇺 पुतिन के दौरे से पहले उठाया सवाल
राहुल गांधी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए आज शाम नई दिल्ली पहुँचने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष भी देश का प्रतिनिधित्व करता है, सिर्फ सरकार ही नहीं। ऐसे में विदेशी नेताओं से मिलकर विपक्ष एक वैकल्पिक दृष्टिकोण (Alternative Perspective) पेश करता है, जो स्वस्थ लोकतंत्र की निशानी है।
‘असुरक्षा’ के कारण टूट रहे प्रोटोकॉल
राहुल गांधी ने इस परंपरा को तोड़ने का एकमात्र कारण सरकार की असुरक्षा को बताया। उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती कि विपक्षी नेता अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कोई दूसरा दृष्टिकोण प्रस्तुत करें।
इस आरोप का समर्थन करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी कहा कि यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि “इस सरकार की सभी नीतियाँ एक ही सिद्धांत पर आधारित हैं— वे सब कुछ कब्जा करना चाहते हैं, अन्य आवाजों को सुनना नहीं चाहते और प्रोटोकॉल तोड़ रहे हैं।”
भाजपा का पलटवार: ‘गैर-जिम्मेदाराना बयान’
राहुल गांधी के इस सनसनीखेज आरोप पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तुरंत पलटवार किया है। भाजपा सांसद संबित पात्रा ने राहुल गांधी के बयान को ‘गैर-जिम्मेदाराना’ और ‘तथ्यों पर आधारित नहीं’ बताया।
संबित पात्रा ने सवाल किया, “भारत सरकार राहुल गांधी से क्यों असुरक्षित महसूस करेगी? भारत आज वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक स्तंभ बन चुका है।” उन्होंने कहा कि सरकार प्रोटोकॉल का पालन करती है और राहुल गांधी को आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से ऊपर उठना चाहिए।
भाजपा नेताओं ने यह भी कहा कि राहुल गांधी विदेश जाकर देश की बुराई करते हैं, इसलिए सरकार उन्हें या किसी विपक्षी सदस्य को उनके व्यवहार की वजह से क्यों रोकेगी? यह आरोप-प्रत्यारोप अब भारत की विदेश नीति की परंपराओं पर एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे चुका है।


