एक योगी के इशारे पर कई सालों तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के बड़े फैसले लिए गए, लेकिन इस योगी के बारे में किसी को पता नहीं है। CBI मामले की जांच कर रही है। सूत्रों का कहना है कि इस कथित योगी का न तो हिमालय से कोई संबंध है और न ही यह कोई बाबा है। ऐसी संभावना है कि ये वित्त मंत्रालय का कोई ब्यूरोक्रेट था, जिसका चित्रा रामकृष्ण का करियर चमकाने में बड़ा हाथ है।
NSE की पूर्व CEO चित्रा रामकृष्ण पर आध्यात्मिक गुरु के साथ गोपनीय जानकारी साझा करने का आरोप है। सेबी ने 11 फरवरी को रामकृष्ण पर जुर्माना लगाया था। मार्केट रेगुलेटर ने एक्सचेंज की गोपनीय जानकारी को किसी अज्ञात व्यक्ति के साथ साझा करने के लिए चित्रा पर 3 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था।
सूत्रों के मुताबिक, अगर CBI गहराई से मामले की जांच करती है तो ही कुछ खुलने की संभावना है। वरना इसका हश्र भी को-लोकेशन स्कैम की जांच जैसा होगा और योगी तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। सूत्र का कहना है कि इस मामले में NSE के कुछ और अधिकारियों से पूछताछ हो सकती है। को-लोकेशन स्कैम 2015 में सामने आया था। इसमें सेबी ने NSE को जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था।
सेबी ने भी योगी के ईमेल पर हुई बातचीत से पता लगाया है कि इस व्यक्ति को NSE पर कामकाज के तरीके और अधिकारियों की हर बात की जानकारी थी। आनंद बाहर का आदमी था और उसे NSE की इतनी डिटेल नहीं पता थी। ऐसे में यह संभावना ज्यादा दिखती है कि कथित बाबा मंत्रालय से जुड़ा कोई आदमी था।


