Monday, December 8, 2025

Naxal Surrender Chhattisgarh : नक्सलवाद को बड़ा झटका, 1 करोड़ के इनामी रामधेर मज्जी समेत 12 नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ में किया आत्मसमर्पण

Naxal Surrender Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले में नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। CPI (माओवादी) की केंद्रीय समिति के सदस्य और टॉप नक्सली रामधेर मज्जी, जो लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों के रेडार पर था, ने अपने 11 साथियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। इस आत्मसमर्पण को नक्सल संगठन के लिए सबसे बड़ा टूटन और निर्णायक झटका माना जा रहा है।

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 कुम्ही गांव में हुआ सामूहिक सरेंडर

आत्मसमर्पण की यह कार्रवाई गांव कुम्ही (थाना बकर कट्टा) में आज सुबह हुई, जहां सभी नक्सल कैडरों ने हथियार नीचे रखकर पुलिस के सामने समर्पण कर दिया। यह पूरा समूह MMC— महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ स्पेशल जोनल कमेटी —का सक्रिय हिस्सा था और तीन राज्यों के छह जिलों में प्रभाव रखता था।

 1 करोड़ के इनामी टॉप लीडर ने AK-47 के साथ किया सरेंडर

रामधेर मज्जी (Central Committee Member)

  • रैंक: शीर्ष नेतृत्व (CCM)

  • इनाम: ₹1 करोड़

  • हथियार: AK-47

  • भूमिका: MMC स्पेशल जोन का प्रमुख रणनीतिक कमांडर

उनके आत्मसमर्पण को माओवादी संगठन की सबसे बड़ी संरचनात्मक टूट माना जा रहा है।

 DVCM और ACM रैंक के बड़े नक्सल भी शामिल

रामधेर के साथ कई उच्च रैंक के नक्सल कैडरों ने भी आत्मसमर्पण किया:

DVCM स्तर

  • चंदू उसेंडी

  • ललिता

  • जानकी

  • प्रेम
    (इनमें से दो के पास AK-47 और INSAS हथियार मौजूद थे)

ACM स्तर

  • रामसिंह दादा

  • सुकेश पोट्टम

महिला मिलिशिया (PM) के सदस्य

  • लक्ष्मी

  • शीला

  • योगिता

  • कविता

  • सागर

 भारी मात्रा में हथियार बरामद

सरेंडर के दौरान हथियारों की बड़ी खेप पुलिस के कब्जे में आई:

  • AK-47

  • INSAS

  • SLR

  • .303 राइफल

  • .30 कार्बाइन

  • गोला-बारूद और सामरिक सामग्री

यह बरामदगी MMC स्पेशल जोन की सैन्य क्षमता को लगभग समाप्त कर देती है।

 MMC स्पेशल जोन अब लगभग निष्प्रभावी

इस सामूहिक आत्मसमर्पण के बाद नक्सल संगठन के MMC जोन को बड़ा नुकसान हुआ है।

  • इससे पहले MMC जोन के प्रवक्ता अनंत ने गोंदिया में आत्मसमर्पण किया था।

  • पिछले 24 घंटे में बालाघाट में सुरेंद्र समेत 9 नक्सली हथियार डाल चुके हैं।

लगातार हो रही ये सरेंडर घटनाएं दर्शाती हैं कि माओवादी संगठन की जमीनी पकड़ तेजी से कमजोर हो रही है और सुरक्षा बलों की तय रणनीति प्रभावी साबित हो रही है।

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