भारतीय नौसेना जल्द ही ब्रह्मोस एयरोस्पेस के साथ 20 लाख करोड़ रुपए की डील साइन करने वाली है। नेवी इस कंपनी से 200 से ज्यादा ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल खरीदने वाली है। अधिकतर स्वदेशी कंटेंट वाली ये मिसाइल भारतीय नौसेना के सभी फ्रंटलाइन वॉरशिप्स पर तैनात की जाएंगी।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत और रूस की साझेदारी वाली कंपनी है। इस कंपनी ने हाल ही में मिसाइल की टेस्ट फायरिंग की थी। इस मिसाइल पर स्वेदशी सीकर भी तैनात किया जाएगा। मिसाइल सीकर वह सिस्टम होता है जो मिसाइल को सही ट्रैजेक्टरी पर गाइड करता है, ताकि मिसाइल सही निशाने पर लगे।

शुरुआती स्टेज में है ये प्रपोजल, जल्द क्लियर होने की उम्मीद
एक सीनियर डिफेंस ऑफिशियल्स के मुताबिक, 200 से ज्यादा ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने का नेवी का यह प्रपोजल फिलहाल शुरुआती स्टेज पर है और इसके जल्द ही डिफेंस मिनिस्ट्री से क्लियर होने की उम्मीद है। कुछ साल पहले इस कंपनी ने अपनी मिसाइल की स्ट्राइक रेंज को 290 किमी से बढ़ाकर 400 किमी कर दिया था, जिसके बाद इस मिसाइल सिस्टम में बहुत तेजी से विकास किया है।
मिसाइल में बढ़ाया गया स्वदेशी कंटेंट, फिलीपींस भी एक्सपोर्ट किया जाएगा
मिसाइल में भारतीय कंटेंट को भी बढ़ाया गया है। इसके कई सिस्टम्स को अपग्रेड करके उन्हें स्वदेशी बनाया गया है, ताकि मिसाइलों में भारतीय इंडस्ट्री और मैन्युफैक्चरर्स की भागीदारी ज्यादा हो। मिसाइल सिस्टम को फिलीपींस भी एक्सपोर्ट किया जा रहा है। फिलीपींस मरीन कोर के सैनिकों ने भारत में ब्रह्मोस फैसिलिटी में ट्रेनिंग ली है और जल्द ही उनके कई और बैच ट्रेनिंग के लिए यहां आने वाले हैं।

कैसे नाम पड़ा ब्रह्मोस?
ब्रह्मोस को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस के फेडरल स्टेट यूनिटरी इंटरप्राइज NPOM के बीच साझा समझौते के तहत विकसित किया गया है। ब्रह्मोस एक मध्यम श्रेणी की स्टेल्थ रैमजेट सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल को जहाज, पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट या फिर धरती से लॉन्च किया जा सकता है।
कुछ रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि इस मिसाइल का नाम दो नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि ये एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के रूप में दुनिया में सबसे तेज गति की मिसाइल है।
