प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के कार्यक्रम में पहुंचे। इस दौरान वह कार्यक्रम में आयोजित यज्ञ में भी शामिल हुए। उन्होंने साल भर चलने वाले कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा- उस समय स्वामीजी ने महिला सशक्तिकरण के लिए आवाज उठाई थी और छुआछूत के खिलाफ लड़े थे।
उन्होंने कहा- यह अवसर ऐतिहासिक है और भविष्य के इतिहास को निर्मित करने का है। यह पूरे विश्व के मानवता के भविष्य के लिए प्रेरणा का फल है। स्वामी दयानंद जी और उनका आदर्श था हम पूरे विश्व को श्रेष्ठ बनाएं। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी, अर्जुन राम मेघवाल और मीनाक्षी लेखी भी मौजूद हैं।

पीएम ने कहा- जब महर्षि दयानंद का जन्म हुआ था तब देश सदियों की गुलामी से कमजोर पड़ कर अपनी आभा, अपना तेज, अपना आत्मविश्वास सब कुछ खोता चला जा रहा था। प्रति क्षण हमारे संस्कार, आदर्श को चूर-चूर करने का प्रयास होता था।
उन्होंने कहा- महर्षि ने सामाजिक भेदभाव और छुआछूत जैसी समाज की कुरीतियों के खिलाफ मजबूत अभियान शुरू किया। हमारे इतिहास और परम्पराओं को दूषित करने का प्रयास किया गया। उसी समय महर्षि दयानंद जी के प्रयास समाज में संजीवनी के रूप में प्रकट हुए और उनका कायाकल्प किया।
आर्य समाज के संस्थापक था महर्षि दयानंद सरस्वती
महर्षि दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 को हुआ था। वह एक समाज सुधारक थे, जिन्होंने सामाजिक असमानताओं को दूर करने के लिए 1875 में आर्य समाज की स्थापना की थी। आर्य समाज ने सामाजिक सुधारों और शिक्षा पर जोर देकर देश की सांस्कृतिक एवं सामाजिक जागृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वामी दयानंद सरस्वती ने लोगों को संदेश दिया कि ‘वेदों की ओर लौटो’ अर्थात् उनका मानना था कि वेदों में ही जीवन की सत्यता है। उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश नाम की किताब भी लिखी है।


