छत्तीसगढ़ के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय का 26 वां दीक्षांत समारोह पंडित दीनदयाल ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ। इस दौरान 136 छात्रों को गोल्ड मेडल और 308 पीएचडी धारकों को उपाधि दी गई। इनमें देवश्री भोयर को भी पीएचडी की उपाधि मिली है। उनके मजदूर पिता ने नेत्रहीन बेटी की पीएचडी लिखी है।
समारोह में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रो. वाई एस राजन मौजूद रहे। समारोह में छत्तीसगढ़ गौ-सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास को डी-लिट की उपाधि दी गई। यहां मेडल और डिग्री की खुशियों के पीछे छिपी प्यार और संघर्ष की ऐसी कहानियां भी सामने आईं हैं। जो समाज के लिए नई मिसाल बनकर उभरी है।

रातभर जागकर ब्लाइंट बेटी की थीसिस मजदूर पिता ने लिखी
गुढ़ियारी के जनता कॉलोनी में रहने वाली देवश्री भोयर जन्म से ही नेत्रहीन हैं। भारतीय राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान पर पीएचडी करने वाली बेटी देवश्री जितनी मेहनती है। उनके पिता गोपीचंद पेशे से मजदूर हैं, जिन्होंने पीएचडी की थीसिस लिखने में देवश्री की मदद की है। देवश्री के लिए अकेले थीसिस लिखना मुश्किल था। इसलिए देवश्री के पिता गोपीचंद भोयर ने तय किया कि, इस काम में वे बेटी की मदद करेंगे। और फिर गाइड से अनुमति लेकर थीसिस लिखने का काम पूरा किया।
देवश्री ने बताया, दिनभर मजदूरी के बाद पिता गोपीचंद उनके साथ रातभर जागकर थीसिस लिखते थे। कई बार लगातार 12 घंटे लिखने का काम चलता रहता। देवश्री बोलतीं जाती और उनके पिता उसे कागज पर लिखा करते थे। देवश्री के पिता ने महज 10वीं तक की पढ़ाई की है लेकिन पीएचडी की थीसिस को उन्होंने पूरा किया है।
देवश्री ने आगे बताया, पीएचडी पूरी करने में उनके गाइड और दुर्गा महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ सुभाष चंद्राकर का भी अहम योगदान रहा। उन्होंनें देवश्री की परेशानी समझी और थीसिस लिखने की अनुमति उनके पिता गोपीचंद को दी। साथ ही सुधार के लिए जरूरी निर्देश और सहयोग भी उनके द्वारा मिला।


