Tuesday, December 9, 2025

कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलेगा:वे दो बार बिहार के CM और एक बार डिप्टी CM रहे

कर्पूरी ठाकुर ने पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव जीता था। 1967 में कर्पूरी ठाकुर ने डिप्टी CM बनने पर बिहार में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया।बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया जाएगा। वह पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे। 24 जनवरी को ही उनकी जयंती है।

कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के CM और एक बार डिप्टी CM रहे। वे बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे। उन्होंने पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव जीता था। 1967 में कर्पूरी ठाकुर ने डिप्टी CM बनने पर बिहार में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया।

सामाजिक व्यवस्था परिवर्तन में कर्पूरी के आदर्श थे जेपी, लोहिया व आचार्य नरेन्द्र देव। कर्पूरी के पहले समाजवादी आंदोलन को खाद उच्च वर्ग से ही मिलती थी।
सामाजिक व्यवस्था परिवर्तन में कर्पूरी के आदर्श थे जेपी, लोहिया व आचार्य नरेन्द्र देव। कर्पूरी के पहले समाजवादी आंदोलन को खाद उच्च वर्ग से ही मिलती थी।

1940 में सिर्फ पांच लोग मैट्रिक पास हुए
समस्तीपुर के पितौंझिया (अब कर्पूरी ग्राम) में 1904 में सिर्फ 1 व्यक्ति मैट्रिक पास था। 1934 में 2 और 1940 में 5 लोग मैट्रिक पास हुए थे। इनमें एक कर्पूरी जी थे। वो 1952 में विधायक बने। ऑस्ट्रिया जाने वाले डेलीगेशन में चुने गए। उनके पास कोट नहीं था। एक दोस्त से मांगा। कोट फटा था। कर्पूरी जी वही कोट पहनकर चले गए। वहां युगोस्लाविया के मार्शल टीटो ने देखा कि उनका कोट फटा है। उन्हें नया कोट गिफ्ट किया।

सामाजिक व्यवस्था परिवर्तन में कर्पूरी के आदर्श थे जेपी, लोहिया व आचार्य नरेन्द्र देव। कर्पूरी के पहले समाजवादी आंदोलन को खाद उच्च वर्ग से ही मिलती थी। कर्पूरी ने पूरे आंदोलन को उन लोगों के बीच ही रोप दिया जिनके बूते समाजवादी आंदोलन हरा होता था। वह 1970 में जब सरकार में मंत्री बने तो उन्होंने आठवीं तक की शिक्षा मुफ्त कर दी। उर्दू को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया। पांच एकड़ तक की जमीन पर मालगुजारी खत्म कर दी।

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