Sunday, June 22, 2025

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने ली जान! : प्रसव के बाद मां और जुड़वा बच्चों की मौत, परिजनों का आरोप – सरकारी एंबुलेंस में नहीं था ऑक्सीजन

कोरबा. छत्तीसगढ़ के कोरबा में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल एक बार फिर से खुल गई है. एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और उसके दो जुड़वां बच्चों की मौत होने पर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर फिर से सवाल उठने लगा है. परिजनों के मुताबिक, करतला सीएचसी से जिला अस्पताल लाने के दौरान सरकारी एंबुलेंस में महिला को ऑक्सीजन नहीं दिया गया, जिसके कारण जुड़वा नवजात बच्चे और उसकी मां की मौत हो गई. इस घटना के बाद पूरा परिवार सदमे में है. यह मामला करतला थाना क्षेत्र के जोगीपाली गांव का है.

बताया जा रहा है कि प्रसव पीड़ा उठने पर कांति राठिया को करतला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था, जहां महिला ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. इसके बाद जच्च-बच्चा को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. एंबुलेंस में सब कुछ सही था, तभी एकाएक महिला और उसके दोनों बच्चों की सेहत बिगड़ी और अस्पताल में उपचार मिल पाता उससे पहले ही जुड़वा बच्चे और मां की मौत हो गई. मृतिका के पति ने इस घटना को लेकर स्वास्थ्य महकमे पर सवाल उठाया है.

मृतिका के पति बिहारी लाल राठिया ने बताया कि अचानक दर्द बढ़ने पर घर पर ही नॉर्मल प्रसव हुआ और दो बच्चों को स्वस्थ जन्म देने के बाद उसे करतला स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे, जहां इलाज शुरू किया गया. हालत बिगड़ने पर उसे जिला मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया. रास्ते में वह बातचीत करते हुए आ रही थी, अचानक ऑक्सीजन की कमी होने के चलते उसकी दिक्कतें बढ़ गई. एंबुलेंस में ऑक्सीजन नहीं होने के कारण दोनों बच्चों और मां की मौत हो गई.

मृतिका के पित बिहारी लाल का कहना है कि यह घटना उसके साथ हुई है और किसी के साथ ऐसी घटना ना हो, इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग को ध्यान देने की जरूरत है. कोरबा के ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर इस तरह की लचर स्वास्थ्य सुविधाओं की खबरे सामने आते रहती है. व्यवस्था दुरुस्त करने का प्रयास किया जाता है. बावजूद इसके लापरवाही के कारण इस तरह की घटना घट जाती है. इस दिशा में विभाग को जरुरी कदम उठाने की जरुरत है.

इस मामले में जिला अस्पताल चौकी प्रभारी दाऊद कुजूर ने बताया कि मेडिकल कॉलेज मेमो के आधार पर मृतक के परिजनों का बयान दर्ज किया गया है. आगे की जांच कार्यवाही की जा रही है. वहीं इस मामले को लेकर जिला स्वास्थ्य अधिकारी एसएन केसरी से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई.

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