Saturday, August 23, 2025

हरतालिका तीज 2025: सुहागिनों और कन्याओं ने रखा व्रत, पार्थिव शिवलिंग पूजन का जानें महत्व

हिंदू धर्म में हरतालिका तीज व्रत का विशेष महत्व माना गया है। यह व्रत हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को किया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन की कामना करती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत का पालन करती हैं।

क्यों किया जाता है पार्थिव शिवलिंग पूजन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या के दौरान उन्होंने मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसकी विधिवत पूजा-अर्चना की। उनकी इस भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। तभी से हरतालिका तीज के अवसर पर मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजन की परंपरा चली आ रही है।

मां गौरी के शृंगार का महत्व
इस व्रत में महिलाएं मां गौरी का विशेष शृंगार करती हैं। सुहागिनें लाल-सिंदूरी वस्त्र पहनकर, सोलह शृंगार के साथ माता की आराधना करती हैं। वहीं अविवाहित कन्याएं सादगीपूर्ण पूजा-अर्चना करती हैं और अच्छे जीवनसाथी की प्रार्थना करती हैं।

धार्मिक आस्थाओं के अनुसार, हरतालिका तीज का यह व्रत महिलाओं के जीवन में सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में मधुरता लाने वाला माना जाता है।

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