Sunday, December 7, 2025

Fraud case : श्री राम फाइनेंस में 1.3 करोड़ का घोटाला, कर्मचारियों ने लोन की रकम उड़ाई

Fraud case, रायगढ़, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में वित्तीय धोखाधड़ी का एक बड़ा मामला सामने आया है। श्री राम फायनेंस कार्पोरेशन की घरघोड़ा शाखा के तीन कर्मचारियों ने अपने एजेंट साथियों के साथ मिलकर 1 करोड़ 30 लाख 50 हज़ार रुपये की हेराफेरी की है। इन कर्मचारियों ने 26 ग्राहकों को फर्जीवाड़ा करके व्यापार लोन (Business Loan) दिलाया और कंपनी को चूना लगाया।

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धोखाधड़ी का खुलासा और FIR

कंपनी के रायपुर स्थित लीगल डिपार्टमेंट के मैनेजर राकेश तिवारी को इस बड़े घोटाले की भनक लगी, जिसके बाद उन्होंने घरघोड़ा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।

  • आरोप: कंपनी के पूर्व सेल्स मैनेजर/ब्रांच कर्मचारी वीरेन्द्र प्रताप पुरसेठ, खेमराज गुप्ता, और सुधीर निषाद पर मुख्य रूप से यह साजिश रचने का आरोप है।
  • समय सीमा: यह धोखाधड़ी 12 सितंबर 2017 से 15 मार्च 2019 के बीच की गई।
  • कार्यप्रणाली: तीनों कर्मचारियों ने अपने साथी एजेंटों की मदद से फर्जी दस्तावेज़ तैयार करवाए। उन्होंने अन्य व्यक्तियों के व्यावसायिक संस्थानों को लोन लेने वाले ग्राहकों का संस्थान बताकर लोन पास करवाया।
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कानूनी कार्रवाई शुरू

जांच के बाद, कंपनी ने कर्मचारियों को लोन राशि वसूलने की समझाइश दी थी, लेकिन जब राशि वसूली नहीं गई, तो कंपनी ने 15 जनवरी 2025 को विस्तृत जांच के आदेश दिए। जांच में यह बात सामने आई कि ग्राहकों ने भी इन तीनों कर्मचारियों से मिलकर अवैध राशि लेकर लोन लिया था।पुलिस ने धोखाधड़ी में शामिल मुख्य आरोपियों—वीरेन्द्र प्रताप पुरसेठ, खेमराज गुप्ता, और सुधीर निषाद—के साथ-साथ उनके सात साथी एजेंटों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।दर्ज धाराएं: भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120-B (आपराधिक साजिश), 419 (प्रतिरूपण), 420 (धोखाधड़ी), 467, 468, 470, और 471 (फर्जी दस्तावेज़ का उपयोग) के तहत मामला दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गई है।

26 ‘फर्जी’ ग्राहक कौन थे?

जांच टीम ने जिन 26 ग्राहकों को लोन दिलाने में धोखाधड़ी हुई, उनमें से कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:

  • हेमंत कुमार पटेल (जैमुरा, खरसिया)
  • छबिशंकर गुप्ता (धौराभांठा)
  • सुिलत राठिया (बहिरकेला)
  • पीतांबर राठिया (भालूमुड़ा)
  • सदानंद पटेल (भकुर्रा)

रिपोर्ट के अनुसार, कुछ ग्राहकों को गबन की गई राशि में हिस्सेदारी दी गई, जबकि कुछ ग्राहकों को एजेंटों द्वारा राशि दी ही नहीं गई।

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