भारत के बाद अब कई प्रमुख यूरोपीय देशों ने भी अमेरिका के लिए अपनी डाक सेवाएं निलंबित कर दी हैं। इन देशों में ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और इटली शामिल हैं। यह फैसला अमेरिकी सरकार द्वारा डाक शुल्कों (Postal Tariffs) में की गई बढ़ोतरी के विरोध में लिया गया है, जिसे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने लागू किया था।
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क्या है पूरा मामला?
ट्रंप प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय डाक सेवाओं के लिए अमेरिकी डाक सेवा (USPS) द्वारा लिए जाने वाले शुल्कों में वृद्धि की थी। ट्रंप का तर्क था कि विदेशी डाक सेवा कंपनियां अमेरिकी डाक सेवा का उपयोग बहुत कम शुल्क पर कर रही हैं, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान हो रहा है। इसके जवाब में, दुनिया भर के कई देशों ने अमेरिका के लिए अपनी डाक सेवाओं पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया।
क्यों हो रही है यह परेशानी?
यूरोपीय देशों का कहना है कि अमेरिकी डाक शुल्क में बढ़ोतरी उनके लिए आर्थिक रूप से अव्यवहारिक है। यह बढ़ोतरी विशेष रूप से छोटे व्यवसायों और ई-कॉमर्स कंपनियों को प्रभावित कर रही है, जो अंतरराष्ट्रीय शिपमेंट पर निर्भर हैं। डाक सेवा निलंबित करने का फैसला इन देशों के लिए एक मजबूरी है, क्योंकि वे बढ़ते शुल्कों का भार वहन नहीं कर सकते।
भारत के बाद अब यूरोप
इससे पहले, भारत ने भी इसी मुद्दे पर अमेरिका के लिए डाक सेवाएं निलंबित कर दी थीं। अब ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और इटली जैसे प्रमुख यूरोपीय देशों के इस कदम से वैश्विक व्यापार पर और भी बुरा असर पड़ सकता है। यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि व्यापार युद्ध और टैरिफ में बढ़ोतरी से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (Global Supply Chain) बुरी तरह प्रभावित होती है और इसका खामियाजा छोटे व्यवसायों और आम लोगों को भुगतना पड़ता है।