Sunday, December 28, 2025

Chhattisgarh High Court : मुस्लिम महिला को राहत, हाईकोर्ट ने तलाक आदेश को ठहराया सही

Chhattisgarh High Court , बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मुस्लिम विवाह कानून से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा और स्पष्ट फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि पति लगातार दो वर्षों तक पत्नी का भरण-पोषण नहीं करता है, तो ऐसी स्थिति में पत्नी को तलाक लेने का पूरा अधिकार होगा, भले ही वह अपने मायके में रह रही हो। कोर्ट का यह फैसला मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है।

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यह टिप्पणी फैमिली कोर्ट के एक आदेश पर सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए तलाक के आदेश को आंशिक रूप से सही ठहराते हुए कहा कि भरण-पोषण न देना मुस्लिम विवाह अधिनियम के तहत विवाह विच्छेद का वैध आधार है।

मामला कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ का
यह मामला छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ से जुड़ा है। याचिका के अनुसार, महिला की शादी 30 सितंबर 2015 को मुस्लिम रीति-रिवाज से हुई थी। विवाह के बाद पत्नी केवल करीब 15 दिन तक ही ससुराल में रह पाई। इसके बाद पारिवारिक विवाद बढ़ने के कारण मई 2016 से वह अपने मायके में रहने लगी।

पत्नी ने कोर्ट में आरोप लगाया कि पति ने उस पर 10 लाख रुपये की एफडी तुड़वाने का दबाव बनाया। जब उसने इसका विरोध किया, तो उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। हालात बिगड़ने पर महिला ने घरेलू हिंसा, धारा 498-ए और भरण-पोषण से जुड़े अलग-अलग मामले दर्ज कराए।

भरण-पोषण नहीं देने पर तलाक का आधार
महिला ने फैमिली कोर्ट में मुस्लिम विवाह विच्छेद अधिनियम के तहत तलाक की याचिका दायर की थी। फैमिली कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद माना कि पति ने लंबे समय तक पत्नी का भरण-पोषण नहीं किया और इस आधार पर विवाह विच्छेद का आदेश पारित किया।

.

Recent Stories