CG High Court , बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक सरकारी कर्मचारी द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को सख्त शब्दों में खारिज करते हुए उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने इस याचिका को “कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग” करार दिया और स्पष्ट संदेश दिया कि न्यायालय की प्रक्रिया को बार-बार और अनुचित तरीके से चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
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यह महत्वपूर्ण फैसला मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने सुनाया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पुनर्विचार याचिका का उद्देश्य किसी फैसले पर दोबारा पूर्ण सुनवाई कराना नहीं है, बल्कि केवल उन्हीं बिंदुओं पर विचार किया जा सकता है, जिनमें स्पष्ट त्रुटि या गंभीर कानूनी भूल हो।
वकील बदलकर दायर की गई याचिका पर कोर्ट नाराज
कोर्ट ने इस बात पर भी गहरी नाराजगी जाहिर की कि याचिकाकर्ता ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के लिए अपना वकील बदल लिया, जबकि मूल याचिका में सभी बिंदुओं पर विस्तार से बहस हो चुकी थी। खंडपीठ ने टिप्पणी की कि सिर्फ नए तर्क पेश करने या पुराने मामलों को फिर से खोलने के उद्देश्य से वकील बदलकर पुनर्विचार याचिका दायर करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
पुनर्विचार याचिका का दायरा सीमित
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में दो टूक कहा कि पुनर्विचार याचिका अपील का विकल्प नहीं है। यदि कोई पक्ष अदालत के फैसले से असंतुष्ट है, तो उसके लिए विधि द्वारा तय अपीलीय मंच उपलब्ध है। पुनर्विचार याचिका के माध्यम से पूरे मामले की दोबारा सुनवाई कराने की कोशिश को स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि जब मूल मामले में तथ्यों और कानून दोनों पर विस्तार से विचार किया जा चुका हो, तब पुनर्विचार के नाम पर उन्हीं मुद्दों को दोहराना न्यायालय का कीमती समय बर्बाद करने के समान है।


