छत्तीसगढ़ में लगभग 68% बच्चों को जन्म के 1 घंटे बाद तक मां का दूध नसीब नहीं हो पाता है। इतना ही नहीं नवजात शिशुओं को सही देखभाल न मिल पाने की वजह से जन्म के 28 दिनों के भीतर 18000 बच्चों की मौत हर साल होती है। यह दावा यूनिसेफ की एक रिपोर्ट का है, इसे नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-21 के आधार पर तैयार किया गया है। कवर्धा में हुई स्टेट लेवल मीडिया वर्कशॉप में ये रिपोर्ट यूनिसेफ के छत्तीसगढ़ प्रमुख जॉब जकारिया ने पेश की है।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए जॉब जकारिया ने बताया कि पिछले कुछ सालों से वह केरल में नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं की सेहत से संबंधित जागरुकता पर काम कर रहे थे। केरल में एक नवजात बच्चे की मौत पर भी बड़ा सियासी हंगामा खड़ा हो जाता है। मगर छत्तीसगढ़ में इस माहौल की कमी है, छत्तीसगढ़ में सालाना हजारों नवजात बच्चों की मौत पर कहीं चर्चा नहीं होती है।
यूनिसेफ के जॉब ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि छत्तीसगढ़ में सिर्फ 32% माताएं ही बच्चों को जन्म के 1 घंटे बाद स्तनपान करा पाती हैं। इसके कारण का जिक्र करते हुए जॉब ने बताया कि अस्पताल में अक्सर बच्चों को जन्म के फौरन बाद मां से अलग निगरानी में रखा जाता है, इसलिए सही समय पर स्तनपान नहीं हो पाता। जबकि जन्म के एक घंटे के भीतर होने वाला स्तनपान बच्चों के सही पोषण और विकास के लिए बेहद जरूरी है। अब यूनिसेफ इस विषय को लेकर लगातार ग्रामीण और शहरी इलाकों में जागरूकता के अभियान चला रहा है।


