Monday, December 8, 2025

छत्तीसगढ़ में जमीन से लेकर पहाड़ तक विराजे बप्पा: जानिए 7 अनोखे गणेश धामों का रहस्य

गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर पूरे देश में भगवान गणेश की भक्ति में डूबा है। गणेश जी को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। भारत के हर कोने में उनके मंदिर मौजूद हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में उनके कुछ ऐसे पावन धाम हैं, जहां की कहानियां और आस्था किसी चमत्कार से कम नहीं है। यहां जमीन के भीतर से प्रकट हुए गणपति से लेकर पहाड़ की चोटी पर विराजमान बप्पा तक के दर्शन होते हैं।

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आइए जानते हैं छत्तीसगढ़ के 7 ऐसे ही अनोखे गणेश धामों के बारे में:

1. भूमिफोड़ गणपति, बालोद

यह मंदिर बालोद जिले के मरारपारा में स्थित है। यहां भगवान गणेश की प्रतिमा जमीन फाड़कर स्वयं प्रकट हुई थी, इसीलिए इसे ‘भूमिफोड़ गणेश’ कहा जाता है। मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, विशेषकर नि:संतान दंपतियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।

  • कैसे पहुंचें: निकटतम हवाई अड्डा रायपुर है। रायपुर से बालोद के लिए बसें और टैक्सियां आसानी से उपलब्ध हैं।
  • कहां ठहरें: बालोद शहर में रुकने के लिए कई होटल और धर्मशालाएं मौजूद हैं।

2. ढोलकल गणेश, दंतेवाड़ा

यह मंदिर दंतेवाड़ा जिले में 3000 फीट ऊंची ढोलकल पहाड़ी पर स्थित है। यह अपने अद्वितीय इतिहास के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि यहां भगवान गणेश और परशुराम के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें भगवान गणेश का एक दांत टूट गया था। इसीलिए इस प्रतिमा को ‘एकदंत’ भी कहा जाता है। यह प्रतिमा 10वीं-11वीं शताब्दी की मानी जाती है।

  • कैसे पहुंचें: निकटतम रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा दंतेवाड़ा है। दंतेवाड़ा से फरसपाल गांव तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है, जिसके बाद मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 4 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है।
  • कहां ठहरें: दंतेवाड़ा शहर में रुकने की अच्छी व्यवस्था है।

3. जुड़वा गणेश, बारसूर

यह मंदिर दंतेवाड़ा के बारसूर में स्थित है। यहां भगवान गणेश की दो प्राचीन प्रतिमाएं एक ही पत्थर से तराशी गई हैं। यह अपनी तरह की दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी प्रतिमा मानी जाती है। एक प्रतिमा 7.5 फीट ऊंची है, जबकि दूसरी 5.5 फीट ऊंची है। इनका निर्माण 11वीं शताब्दी में छिंदक नागवंशी राजाओं ने कराया था।

  • कैसे पहुंचें: दंतेवाड़ा से बारसूर के लिए बसें और टैक्सियां मिलती हैं।
  • कहां ठहरें: बारसूर में स्थानीय गेस्ट हाउस या दंतेवाड़ा में होटल का विकल्प चुन सकते हैं।

4. गणेश जी का बढ़ता हुआ स्वरूप, गरियाबंद

गरियाबंद जिले में एक गणेश जी का मंदिर है, जहां की प्रतिमा के आकार में हर साल वृद्धि होती है। इस रहस्यमयी प्रतिमा के कारण यह मंदिर पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि भक्तों की आस्था के कारण प्रतिमा धीरे-धीरे बढ़ रही है।

  • कैसे पहुंचें: यह मंदिर गरियाबंद के पास स्थित है। रायपुर से गरियाबंद के लिए नियमित बसें चलती हैं।
  • कहां ठहरें: गरियाबंद शहर में रुकने की अच्छी व्यवस्था है।

इन चार प्रमुख धामों के अलावा भी छत्तीसगढ़ में कई अन्य गणेश मंदिर हैं, जिनमें शमी गणेश नवागढ़, तांत्रिक गणेश भोरमदेव और संबलपुर गणेश धाम शामिल हैं। ये सभी अपनी-अपनी मान्यताओं और चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हैं। इन सभी धामों तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। इन पावन स्थलों की यात्रा भक्तों को न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता का भी अनुभव कराती है।

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