Aravali Hills Case : नई दिल्ली। अरावली पर्वतमाला को लेकर जारी विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को दिए गए अपने ही आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी और तब तक अरावली क्षेत्र में किसी भी प्रकार का खनन नहीं किया जाएगा। अदालत ने मामले की निष्पक्ष और गहन समीक्षा के लिए एक नई विशेषज्ञ समिति गठित करने के निर्देश भी दिए हैं।
11 सूत्रीय मांगों को लेकर अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल पर, सरकारी कामकाज प्रभावित
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाशकालीन पीठ ने अरावली से जुड़े मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें और उन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई आगे की टिप्पणियां फिलहाल स्थगित (abeyance) रहेंगी। अगली सुनवाई तक इन सिफारिशों को लागू नहीं किया जाएगा।
बनेगी नई विशेषज्ञ समिति
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि एक नई विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए, जो मौजूदा विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का विश्लेषण करेगी। यह समिति रिपोर्ट के तथ्यों, निष्कर्षों और प्रभावों की गहराई से जांच कर संबंधित मुद्दों पर अदालत को सुझाव देगी, ताकि किसी भी तरह की गलतफहमी या भ्रम को दूर किया जा सके।
केंद्र और राज्यों को नोटिस
अदालत ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और अरावली से जुड़े चार राज्यों—राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और हरियाणा—को नोटिस जारी किया है। इन सभी से इस संवेदनशील मुद्दे पर अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं मांगी गई हैं।
सॉलिसिटर जनरल की दलील
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि अरावली मामले में अदालत के आदेशों, सरकार की भूमिका और पूरी प्रक्रिया को लेकर कई तरह की गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं। इन्हीं भ्रमों को दूर करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी और जिसे अदालत ने स्वीकार भी किया था।
अदालत की सख्त टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि अदालत की टिप्पणियों और विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को लेकर गलत अर्थ निकाले जा रहे हैं। उन्होंने संकेत दिया कि इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए स्पष्ट स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो सकती है, ताकि अदालत की मंशा और निष्कर्षों को लेकर कोई संदेह न रहे।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि किसी भी फैसले या सिफारिश को लागू करने से पहले निष्पक्ष और स्वतंत्र मूल्यांकन बेहद जरूरी है। अब 21 जनवरी 2026 को होने वाली अगली सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं, जहां अरावली पर्वतमाला के भविष्य को लेकर अहम दिशा तय हो सकती है।


