दाऊदी बोहरा समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और वक्फ कानून में हाल ही में किए गए संशोधनों के लिए उनका आभार जताया. समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि ये संशोधन समाज की चिर-लंबित मांगों में थे, जिसे पूरा कर प्रधानमंत्री ने उनके विश्वास को मजबूत किया है.
प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री की “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” की नीति में पूर्ण आस्था जताई और कहा कि सरकार द्वारा लिए गए निर्णय सभी वर्गों के समावेश और प्रगति के उद्देश्य को दर्शाते हैं. उन्होंने पीएम मोदी के नेतृत्व में देश में हो रहे सकारात्मक बदलावों की सराहना की और समाज की ओर से उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया.
प्रधानमंत्री ने भी दाऊदी बोहरा समाज के प्रतिनिधियों से संवाद करते हुए देशहित में समाज के योगदान की सराहना की और विश्वास दिलाया कि सरकार हमेशा सभी समुदायों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है.
उल्लेखनीय है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति की हरी झंडी मिल चुकी है और सरकार ने इसे लागू करने के लिए अधिसूचना भी जारी कर दी है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाई है. वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर देश के कुछ हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन की घटनाएं भी सामने आई हैं. खासकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद, सुती, धुलियान, जंगीपुर समेत कई इलाकों से हिंसात्मक घटनाएं हुई हैं. संशोधनों से नाराज कुछ लोग इसे मुस्लिम विरोधी बता रहे हैं.
दूसरी तरफ, यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है. लगातार दूसरे दिन सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन की मोहलत दी है. सरकार ने अदालत को भरोसा दिलाया कि इस दौरान डिनोटिफिकेशन या वक्फ बोर्ड में नई नियुक्ति नहीं की जाएगा. अब अगली सुनवाई 5 मई को होगी.