वसंत का संदेश
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एक छोटे से गांव में तन्विक नाम का एक युवक रहता था। वह अत्यंत मेहनती था, लेकिन जीवन में विफलताओं से निराश हो चुका था। वह एक साधु के पास गया और बोला,’बाबा, मैं कितना भी परिश्रम करूं, सफलता मेरे पास नहीं आती।’ साधु बोले, ‘बेटा, आओ, तुम्हें वसंत का एक रहस्य दिखाऊं।’ उन्होंने कहा, ‘देखो, यह पेड़ है। क्या यह सर्दियों में फल देता है?’ ‘नहीं बाबा, सर्दियों में तो यह सूखा सा दिखता है।’ साधु बोले, ‘क्या यह पेड़ मृत है? नहीं! यह अपनी जड़ों को मजबूत कर रहा होता है।
ठंड सहन कर रहा होता है, ताकि वसंत के आते ही यह हरी-भरी टहनियों और मीठे फलों से भर जाए।
जीवन में भी कठिनाइयों के दिन सर्दी के समान होते हैं। यदि तुम धैर्य रख अपने प्रयास जारी रखोगे, तो सफलता का वसंत अवश्य आएगा।’
तन्विक ने साधु की बात गांठ बांध ली। उसने परिश्रम जारी रखा। उसका व्यापार चल पड़ा। कुछ वर्षों बाद, वह गांव का सबसे सफल व्यक्ति बन गया।
चिंतन मनन
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