*जीवन में खुश रहने का सही रास्ता क्या है?*
एक अरबपति व्यक्ति ऐसे जल की तलाश में मारा – मारा फिर रहा था जिसे पीकर आदमी अमर हो जाता है। अंततः एक दिन उसने वह जगह ढूंढ ही ली। उसकी खुशी का कोई ठिकाना न था। उसके सामने ही एक गुफा के मुहाने से अमृत जल की धारा फूट रही थी। वह उस जल को पीने के लिए जैसे ही झुका…
कि तभी गुफा के मुहाने पर बैठा एक बेहद कमजोर काया वाला बूढा चिल्लाया – ‘ रुक जा, रुक जा मानव! ऐसा अनर्थ भूल कर भी मत करना।’
अरबपति व्यक्ति ने बूढ़े पर बहुत क्रोध किया और कारण पूछा?
बूढ़ा बोला – ” यह अमृत जलधारा मुझे भी मिल गई थी। मैंने भी कभी यह अमृत पीया था। इसलिए अब मैं मर नहीं सकता, लेकिन वास्तव में मैं मरना चाहता हूं। हे मानव, जरा मेरी हालत तो देख…! लगभग अंधा हो गया हूं। शरीर की चमड़ी गल गई है। कोढ़ी हुआ पड़ा हूं। सालों से बेचैन भटक रहा हूं और हरदम चिल्लाता रहता हूं कि कोई मुझे मार डाले… कोई मुझे मार डाले… लेकिन अब मुझे मारा भी नहीं जा सकता। मौत पाने के लिए मैं हर पल विधाता से प्रार्थना करता रहता हूं।”
उस बुड्ढे की यह बातें सुनकर वह अमीर आदमी चुपचाप गुफा से वापस लौट आया, बिना अमृत पिए।
*वह अमीर आदमी अब समझ चुका था कि जीवन का आनंद उसी समय तक रहता है जब तक हम उस आनंद को भोगने की स्थिति में होते हैं।*


