Saturday, June 21, 2025

धान बेचने फटे बारदानों को सिलने की मजबूरी

धान खरीदी अंतिम चरण पर , किसान हो रहे परेशान
कोरबा। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी अंतिम चरण पर है। धान बेचने किसान केंद्रों तक पहुंच रहे है। वहीं फटे बारदानों में धान बेचने कई केंद्रों में किसानों को मजबूर होना पड़ रहा है। एक तरफ रिकार्ड धान खरीदी और उठाव का दावा किया जा रहा है तो दूसरी ओर किसानों की इस समस्या का निदान जिम्मेदार अधिकारी नहीं ढूंढ़ रहे है।
अव्यवस्था का यह आलम धान खरीदी केंद्र कुदुरमाल व कनकी में नजर आया जहां अपना धान अपनी बोरियों में लेकर पहुंचे किसानों को पलटी करने के लिए फटे हुए बोरे दिए जा रहे हैं। किसानों को अपनी ही व्यवस्था से इन बोरों को सिलना भी पड़ा। सिलने के सामान उपलब्ध नहीं हुए तो पेपर, कपड़ा ठूंसकर फटे हुए हिस्से को भरने की कवायद भी होती दिखी। यदि किसान इन फटे बोरों को न सिले तो उसका धान गिरता जाएगा, तौल में भी कमी बताकर गिरने वाले धान के एवज में अतिरिक्त धान भी ले लिया जाता है।
उपार्जन केंद्र में जूट के फटे और घटिया बोरों की भरमार बारदाना खरीदी में अनियमितता को भी दर्शाने के लिए काफी है। धान बेचने आए किसान शांतिलाल, गोरेलाल आदि ने बताया कि जैसी व्यवस्था है, उसी में धान बेच रहे हैं। आदिवासी सेवा सहकारी समिति मर्यादित भैसमा के उपार्जन केंद्र कुदुरमाल जैसी समस्या दूसरे ही उपार्जन केंद्रों में है।बता दें कि छग राज्य सहकारी विपणन समिति मर्यादित के द्वारा जूट के बोरों में कमी के मद्देनजर प्लास्टिक के बोरे उपलब्ध कराए गए हैं लेकिन कुदुरमाल सहित अनेक केंद्रों में उपलब्धता पर सवाल उठे हैं। कुदुरमाल व कनकी के केंद्र में तो प्लास्टिक की ये बोरियां नजर नहीं आई। दूर-दूर से आने वाले किसानों के लिए जल्दी धान बेचकर गांव लौटने की हड़बड़ी रहती है लेकिन अव्यवस्था के आलम में जब उन्हें खुद ही फटी बोरियां सिलकर धान पलटी करना हो तो भला व्यवस्थागत विडंबना और क्या होगी? जबकि अच्छे बोरे उपलब्ध कराना विभाग की ही जिम्मेदारी है।

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