Sunday, July 27, 2025

चिंतन मनन

*धन की महिमा
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एक धनवान व्यक्ति था किन्तु वह बहुत कन्जूस था। एक बार उसने अपनी सारी सम्पत्ति को सुरक्षित रखने का एक उपाय सोचा। उसने अपना सब कुछ बेच दिया और सोने की एक बड़ी सिल्ली खरीद ली। उसने उसे दूर एक सुनसान जगह पर जमीन के भीतर छुपा दिया। अब वह प्रतिदिन उसे देखने जाने लगा। उसे देखकर वह संतुष्ट हो जाता और प्रसन्नता पूर्वक वापिस आ जाता था।
उसके एक नौकर को उत्सुकता जागी कि उसका मालिक प्रतिदिन कहाँ जाता है। एक दिन उसने छुपकर उसका पीछा किया। उसने देखा कि मालिक एक जगह पर जाकर जमीन के भीतर कुछ खोदकर देख रहे हैं फिर उसे वैसा ही पूर कर वापिस लौट आए हैं। उनके आने के बाद वह वहाँ गया। उसने वहाँ खोदकर देखा। उसे वहाँ वह सोने की सिल्ली मिली। उसने उसे रख लिया और मिट्टी पूर कर वापिस आ गया।
अगले दिन वह कंजूस जब अपना धन देखने गया तो वहाँ कुछ भी नहीं था। यह देखकर वह रोने लगा। वह दुख में डूबा हुआ रोता हुआ घर वापिस आया। उसकी स्थिति पागलों सी हो गई थी। उसकी इस हालत को देखकर एक पड़ौसी ने इसका कारण पता किया और कारण पता लगने पर वह उस कंजूस से बोला- तुम चिन्ता मत करो। एक बड़ा सा पत्थर उठाकर उस स्थान पर रख दो। उसे ही अपनी सोने की सिल्ली मान लो। तुम उस सोने का उपयोग तो करना ही नहीं चाहते थे। इसलिये तुम्हारा रोना व्यर्थ है, तुम्हारे लिये तो उस पत्थर और सोने में कोई फर्क नहीं है।
धन उपयोग करने से बड़ता है , रखने से नही, अतः धन को काम पर लगायें, व उसका आन्नद ले।

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