Sunday, July 27, 2025

चिंतन मनन

” स्वयं को जानो ”
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प्रकृति ने सबको अलग – अलग स्वभाव प्रदान किया है। प्रत्येक व्यक्ति अपने जैसा स्वभाव अथवा तो अपने जैसे उद्देश्य को दूसरे में भी देखना चाहता है। एक प्रकार से कहें कि वह खुद अपने अक्स को हर शख्स में देखना चाहता है। यहीं से सही गलत की धारणाएं प्रारम्भ हो जाती हैं। जो दुःख न होने पर भी दुःख का अकारण आभास कराती रहती हैं।

वर्तमान समय में हर आदमी आपको यह कहता हुआ मिलेगा कि लोग उसे समझ नहीं रहे हैं। लोग आपको नहीं समझ पा रहे हैं यह चिंता का विषय बिल्कुल भी नही है पर यदि तुम स्वयं अपने आप को नहीं समझ पा रहे हो तो यह जरूर चिंता का विषय है।

दूसरों को ज्यादा जानने में व्यक्ति स्वयं से बहुत दूर हो जाता है। “स्वस्मिन् तिष्ठति इति स्वस्थः”। जो स्वयं में स्थित है वही स्वस्थ है। खुद को जाने बिना परमात्मा को नहीं जाना जा सकता है। जिस दिन स्वयं को जानने की यात्रा प्रारंभ हो जायेगी, उसी दिन परमात्मा की ओर आपकी गति भी प्रारंभ हो जायेगी। !!!!

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