पूर्वी यूक्रेन का शहर खार्किव, रूसी बॉर्डर से सिर्फ 40 किमी दूर। करीब 1,000 हजार भारतीय छात्र 2 मार्च की शाम को वोकजाल, खार्किव रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। इन्हें किसी भी हालत में खार्किव छोड़ना था, जो भी ट्रेन मिले, जहां की भी मिले बस चढ़ जाना है, लेकिन धमाकों के बीच स्टेशन में फंसे छात्रों के साथ यूक्रेन की पुलिस ने क्रूरतम व्यवहार किया। ना सिर्फ जान से मारने की धमकी दी, बल्कि भारतीयों को डराने के लिए शॉट्स भी दागे और छात्रों को टॉर्चर भी किया।
‘यूक्रेन की पुलिस और आर्मी स्टेशन पर सिर्फ अपने देश के लोगों को ही प्राथमिकता दे रही है। दूसरे देश के लोगों और खासतौर पर भारतीयों के साथ मारपीट कर रहे हैं। लड़कियों तक को पुलिसवालों ने नहीं बख्शा। लड़कों को यूक्रेन की आर्मी ने साफ-साफ कह दिया कि अगर ट्रेन में चढ़े तो सीधे गोली मार देंगे। हमें भारतीय ऐंबैसी ने कह दिया है कि 6 बजे तक खार्किव छोड़ दें। एक तरफ हमें हमारे हॉस्टल लौटने नहीं दिया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ हमें ट्रेन में नहीं चढ़ने दिया जा रहा। अब हमें समझ नहीं आ रहा कि हम क्या करें। बाहर निकलेंगे तो क्रॉस फायरिंग में मारे जाने का डर है। हम यहां पर फोन निकाल कर फोटो भी नहीं ले सकते, यूक्रेन पुलिस वाले सीधा शूट करने की धमकी देते हैं।’
खार्किव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट दिव्यांश दीक्षित ने हमें ये तब बताया जब वो खार्किव स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। दिव्यांश उत्तर प्रदेश के बरेली के रहने वाले हैं। दिव्यांश के साथ सिद्धांत, अंशुल, उज्जवल, प्रिया जैसे करीब 1,000 हजार छात्र स्टेशन पर मौजूद थे। दरअसल ये हालात इसलिए बने क्योंकि 2 मार्च शाम 4.47 पर यूक्रेन में भारतीय ऐंबैसी ने अर्जेंट एडवाइजरी जारी करके कहा कि खार्किव में मौजूद सभी भारतीय तत्काल प्रभाव से शहर छोड़ दें। भारतीय खार्किव से सटे पश्चिमी इलाकों जैसे पेसोचिन, बाबाये और बेजलयुदोवका की तरफ बढ़ें। ठीक एक घंटे बाद फिर से एजवाइजरी जारी करते हुए भारतीय ऐंबैसी ने कहा कि भारतीय ‘तत्काल मतलब तत्काल प्रभाव से’ खार्किव छोड़कर निकल जाएं।’
‘यूक्रेन की आर्मी ने लड़कियों के साथ की बदसलूकी’
खार्किव में रूसी अटैक का खतरा बढ़ता जा रहा था। 2 मार्च को सुबह 6 बजे दिव्यांश अपने साथियों के साथ खार्किव के वकजाल रेलवे स्टेशन के लिए निकले। करीब 10 किमी का पैदल सफर तक करके जब वो रेलवे स्टेशन पहुंचे, तो वहां के हालात देखकर दंग रह गए। पीठ पर अपना सामान लादे थके हारे छात्रों को सहारा देने की बजाय, उल्टा यूक्रेन की आर्मी और पुलिस ने टॉर्चर किया। सुबह 8 बजे से 2 बजे तक इन छात्रों ने इंतजार किया। छात्र लगातार यूक्रेनी पुलिस से ट्रेन में बैठने के लिए मिन्नतें करते रहे, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। ना ही उन्हें ट्रेन में चढ़ने दिया गया, उल्टा बदसलूकी की गई। दिव्यांश बताते हैं कि यूक्रेनी आर्मी के एक जवान ने भारतीय छात्रों को डराने के लिए हवा में गोलियां दागना शुरू कर दिया, ऐसा कई बार हुआ। इससे सभी सहम गए। कुछ लड़कियों के साथ भी बदसलूकी की गई और उन्हें चोट भी आई।