Arab Revolution : इतिहास कभी-कभी बड़े युद्धों से नहीं, बल्कि एक साधारण व्यक्ति के हताशा भरे कदम से बदल जाता है। 17 दिसंबर 2010 को ट्यूनीशिया के सिदी बौज़िद (Sidi Bouzid) शहर में घटी एक घटना ने न केवल ट्यूनीशिया, बल्कि पूरे मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका का भूगोल और भविष्य बदल कर रख दिया।
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एक ठेला, पुलिसिया उत्पीड़न और आत्मदाह
26 वर्षीय मोहम्मद बुआजीजी, जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए सड़क पर फल और सब्जियां बेचता था, उसे क्या पता था कि उसका एक विरोध पूरी दुनिया में ‘अरब स्प्रिंग’ (Arab Spring) के नाम से जाना जाएगा। स्थानीय पुलिस ने बिना लाइसेंस के ठेला लगाने का आरोप लगाते हुए बुआजीजी की रोजी-रोटी का साधन यानी उसका ठेला और तराजू जब्त कर लिया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, जब बुआजीजी ने शिकायत करने की कोशिश की, तो उसे अपमानित किया गया और थप्पड़ मारा गया। व्यवस्था की इस बेरुखी और सरकारी उपेक्षा से टूटकर, बुआजीजी ने नगरपालिका कार्यालय के सामने खुद पर केरोसिन छिड़ककर आग लगा ली।
हताशा से विद्रोह तक का सफर
बुआजीजी का यह कदम महज एक व्यक्तिगत विरोध नहीं था, बल्कि यह ट्यूनीशिया की जनता के दबे हुए गुस्से का विस्फोट था। वर्षों से भ्रष्टाचार, कमरतोड़ बेरोजगारी और पुलिसिया दमन झेल रही जनता के लिए यह एक ‘ब्रेकिंग पॉइंट’ साबित हुआ।
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सोशल मीडिया की भूमिका: बुआजीजी के आत्मदाह के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल गईं।
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जन-आंदोलन: देखते ही देखते सिदी बौज़िद से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन राजधानी ट्यूनिस तक पहुँच गया। लाखों की संख्या में युवा और नागरिक सड़कों पर उतर आए।
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नारे: “काम, स्वतंत्रता और राष्ट्रीय गरिमा” के नारों से ट्यूनीशिया गूंज उठा।


