पटना। 243 सीटों वाले बिहार विधान सभा चुनाव में मतगणना शुरू होने के बाद एनडीए ने शुरुआती रुझानों में भारी बढ़त बना ली है। हाथों-हाथ आ रही प्रवृत्तियों से यही संकेत मिल रहे हैं कि इस बार बिहार पूरी तरह से “भगवामय” हो सकता है।
मुख्य तथ्य
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मतगणना प्रारंभ होने के लगभग चार घंटे में एनडीए करीब 190 सीटों पर बढ़त बना चुकी थी, जबकि महागठबंधन सिर्फ लगभग 49 सीटों पर आगे दिखा।
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इससे यह अंदेशा है कि एनडीए इस बार क्लीन स्वीप की ओर तेजी से अग्रसर है।
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इस चुनाव में रिकॉर्ड 67.10% वोटिंग दर्ज की गई — जो पिछले 2020 विधानसभा चुनाव से लगभग 10% अधिक है।
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एनडीए के लिए यह जीत न सिर्फ राज्य-स्तरीय बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी बड़ी अहमियत रखती है क्योंकि यह आगामी लोकसभा और राज्य-चुनावों की दिशा को प्रभावित कर सकती है।
क्या है वजह?
विश्लेषकों के अनुसार:
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एनडीए ने विकास, नेतृत्व, तथा स्थानीय मैकेनिज्म में बेहतर काम किया।
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विपक्षी गठबंधन में सीटों एवं एलीयन समझौतों में कमजोरी देखने को मिली।
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रिकॉर्ड मतदान से यह संकेत मिल रहा है कि वोटरों ने इस बार सशक्त विकल्प की ओर रूझान दिखाया।
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एनडीए नेतृत्व में नरेंद्र मोदी व नीतीश कुमार की जोड़ी ने रणनीतिक रूप से काम किया।
महागठबंधन की चुनौतियाँ
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महागठबंधन को इस बार सीटों पर बढ़त बनाने में कठिनाई का सामना करना पड़ा।
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नए प्रतिद्वंद्वियों व बदलते राजनीतिक परिदृश्य में विपक्ष को अपनी स्थिति मजबूत करने में देर हुई।
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ग्रामीण व युवा वोटरों में एनडीए को बढ़त मिलने की संभावना संकेतित हुई।


