Wednesday, December 10, 2025

मैं अपने दो बच्चों को खो चुका हूं… परिवार के ऊपर आए खतरे का जिक्र करते हुए…

महाराष्ट्र (Maharashtra) के सीएम एकनाथ शिंदे विधानसभा में भाषण देते हुए इमोशनल हो गए. भाषण में बच्चों का जिक्र करते हुए एकनाथ शिंदे रो पड़े. विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद सीएम शिंदे ने अपना पहला भाषण दिया. इस दौरान उन्होंने परिवार के ऊपर आए खतरे का जिक्र किया.सीएम शिंदे ने कहा कि उनको दो बच्चों की मौत हो गई. उस समय वह काफी टूट गए थे. तब गुरु आनंद दीघे ने उनके सिर पर हाथ रखा.

अपने गुरु को याद करते हुए सीएम शिंदे विधानसभा में काफी इमोशनल दिखे. इसके साथ ही उन्होंने अपने दो बच्चों का भी जिक्र किया, जिनको वह खो चुके हैं. उनका जिक्र करते हुए वह रोने लगे. उन्होंने कहा कि वह अपने माता-पिता को पहले ही खो चुके थे और बाद में उनके बेटों की भी मौत हो गई. वह अपना आधार ही खो चुके थे. उस समय आनंद दीघे ने उनके सिर पर हाथ रखा.

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विधानसभा में गुरु को याद कर रो पड़े सीएम शिंदे

सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि उनके परिवार पर हमला किया गया. उन्होंने बताया कि उनकी मां की मृत्यु हो चुकी हो. अपने परिवार के संघर्षों का जिक्र करते हुए सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि वह काम में इस कदर व्यस्त करते थे कि अपने माता-पिता को ज्यादा समय नहीं दे पाते थे. जब वह काम से लौटकर घर आते थे, तब तक दोनों सो जाते थे. इन बातों को अपने भाषण में बताते हुए सीएम शिंदे की आंखों में आंसू आ गए

पिता ने बहुत ही कष्ट से मुझे पाला-सीएम शिंदे

सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि जब परिवार को खोने के बाद वह काफी अकेले थे. उस समय आनंद दिघे ने उनसे अपने और दूसरों के आंसू पोछने की बात कही. गुरु आनंद दीघे ने उनकी हालात से उभरने में मदद की. उन्होंने ही उनको विधानसभा में शिवसेना का नेता बनाया.सीएम एकनाथ शिंदे ने अपनी मां को याद करते हुए कहा कि वह जब सोकर उठते थे तब तक उनकी मां काम पर चली गई होती थी. उनके पिता ने बहुत ही कष्ट के साथ उनको पाला.

‘जब अकेला था, तब दीघे ने पीठ पर रखा हाथ’

शिंदे ने कहा कि उन्होंने गरीबी देखी है, इसीलिए वह गरीबों का दर्द समझते हैं. सीएम ने कहा कि एक बार जब उद्धव ठाकरे का फोन आया तो उनकी मां ने कहा था कि मेरे बच्चे को संभालना. इसके बाद उद्धव ठाकरे ने उनके कहा था कि उनकी मां अभी तक उनको बच्चा कहती है. लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब उनके साथ कोई नहीं था. तब धर्मवीर आनंद दिघे ने उनकी पीठ पर हाथ रखा. इस बात का जिक्र करते हुए वह रो पड़े.

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