Saturday, August 23, 2025

B12 की कमी से बच्चों को बचाएं, डाइट में शामिल करें ये 5 चीजें

माता-पिता अक्सर अपने बच्चों के गुस्सैल या चिड़चिड़े व्यवहार को उनकी बढ़ती उम्र या शरारत से जोड़कर देखते हैं। लेकिन, कई बार इसके पीछे कोई शारीरिक कारण भी हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में विटामिन-B12 की कमी उनके व्यवहार में बदलाव का एक प्रमुख कारण हो सकती है। यह जरूरी पोषक तत्व बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसकी कमी समय रहते पहचानना और उसे दूर करना बेहद जरूरी है।

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क्यों जरूरी है विटामिन-B12?

विटामिन-B12 मस्तिष्क के सही विकास और तंत्रिका तंत्र (Nervous System) के स्वस्थ कार्य के लिए आवश्यक है। यह लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो शरीर के सभी हिस्सों तक ऑक्सीजन पहुंचाती हैं। जब इसकी कमी होती है, तो बच्चों के व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ सकता है।

बच्चों में विटामिन-B12 की कमी के लक्षण

अगर आपका बच्चा बेवजह गुस्सा करता है या चिड़चिड़ा हो गया है, तो इन लक्षणों पर ध्यान दें:

  1. व्यवहार में बदलाव: बच्चा अचानक गुस्सैल हो जाना, छोटी-छोटी बातों पर चिढ़ना या उदास रहना।
  2. थकान और कमजोरी: सामान्य गतिविधियों के बाद भी बहुत जल्दी थक जाना या शारीरिक रूप से कमजोर महसूस करना।
  3. याददाश्त और एकाग्रता में कमी: स्कूल में पढ़ाई पर ध्यान न लगा पाना, चीजों को भूल जाना या धीमी गति से सीखना।
  4. शारीरिक समस्याएं: बच्चे की त्वचा का रंग पीला पड़ना, सांस फूलना या बिना कारण वजन कम होना।
  5. पेट संबंधी परेशानियां: भूख न लगना या पाचन संबंधी समस्याएं।

कमी को पूरा करने के उपाय

बच्चों में विटामिन-B12 की कमी को पूरा करने के लिए उनकी डाइट में इन चीजों को शामिल करें:

  • डेयरी उत्पाद: दूध, दही, और पनीर विटामिन-B12 के अच्छे स्रोत हैं, खासकर शाकाहारी बच्चों के लिए।
  • अंडे और मांस: मांसाहारी बच्चों के लिए अंडे, मछली, और चिकन विटामिन-B12 के बेहतरीन स्रोत हैं।
  • फोर्टिफाइड फूड्स: कुछ खास अनाज और सोया प्रोडक्ट्स को विटामिन-B12 से फोर्टिफाइड किया जाता है।
  • सप्लीमेंट्स: अगर डाइट से कमी पूरी नहीं हो रही है, तो डॉक्टर की सलाह पर विटामिन-B12 के सप्लीमेंट्स दिए जा सकते हैं।

अगर आपको अपने बच्चे में ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। सही समय पर पहचान और उचित इलाज से बच्चे को स्वस्थ जीवन दिया जा सकता है।

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