Tuesday, December 9, 2025

यहां पौधों को राखी बांध बहनें लेती हैं रक्षा संकल्प:बोलीं-काम के चलते घर नहीं जा सकते, थकते हैं तो पेड़ों की छांव में मिलता है सुकून

रक्षा बंधन का पर्व हर भाई-बहन के लिए खास होता है। बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र (राखी) बांध कर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में बहनें राखी के इस पवित्र त्योहार को अनोखे अंदाज में मनाती है। यहां बहनें पर्यावरण बचाने, पौधों की हरियाली और सुरक्षा करने का संकल्प लेकर हर साल उन्हें राखी बांधती हैं। समाज के हर वर्ग के लोगों से इस तरह से पर्व मनाने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपील करता है। रक्षा बंधन पर्व पर देखिए हमारी खास रिपोर्ट…

दरअसल, कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क में काम करने वाली महिला वनकर्मियों का पेड़ों के प्रति लगाव है। उनका कहना है कि लंबे समय से पौधों की देखरेख और सुरक्षा काम कर रही हैं। धूप से आने पर पेड़ों की छाया के नीचे आराम करती हैं। ठंडी हवा मिलती है और मन भी आनंदित होता है। भाई-बहन तो दूर रहते हैं। हम उनके पास नहीं जा पाते, ऐसे में पेड़-पौधों को ही भाई मान कर रक्षा सूत्र बांधने लगीं। अब उन्हें देखकर वन विभाग भी यहां रक्षाबंधन पर्व पर पौधों को राखी बांधने का आयोजन करने लगा है।

कानन पेंडारी जू की डिप्टी रेंजर एसबी कंवर ने बताया कि शुरूआत में यहां काम करने वाली महिलाओं ने पौधों की रक्षा करने का संकल्प लेकर राखी बांधी। उन्हें देखकर पिछले 10 साल से अब यहां रक्षाबंधन पर्व मनाने की परंपरा शुरू हो गई है। यहां काम करने वाली महिलाओं के साथ वनकर्मी भी उनके इस अनोखी राखी पर्व में सहभागिता निभा रहे हैं। इसके साथ ही जू में आने वाले पर्यटकों को भी पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रेरित किया जाता है और पौधों की रक्षा का संकल्प दिलाया जाता है।

हाथों में पूजा की थाल में फूल, अगरबत्ती, गुलाल, कुमकुम और रक्षा सूत्र रखी इन बहनों को देखकर रक्षाबंधन पर्व पर कानन पेंडारी पहुंचने वाले पर्यटक भी उनके इस आयोजन में शामिल होने लगे हैं। पर्यटकों का कहना है कि वास्तव में प्रकृति के रूप में पौधे एक भाई की तरह ही है, जो हमें जीवन की सुरक्षा के लिए आक्सीजन देता है। जंगली और आयुर्वेदिक पौधों से औषधि भी बनाई जाती है। इन बहनों की पौधों के प्रति लगाव को देखकर उन्होंने भी इन्हें भाई मानकर रक्षा का संकल्प लिया है।

ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में जरूरी है ऐसी जागरूकता
ग्लोबल वार्मिंग के इस दौरान में पर्यावरण की सुरक्षा आवश्यक है। शहर ही नहीं अब गांव में भी पेड़ों की बेतरतीब कटाई हो रही है। जंगलों काट कर खदान और उद्योग स्थापित हो रहे हैं। ऐसे में जल-जंगल और जमीन के साथ ही प्रकृति की सुरक्षा आवश्यक हो गया है।

SDO बोले- पौधों को रक्षासूत्र बांध करें रक्षा
वन विभाग के SDO और जू प्रभारी संजय लूथर ने बताया कि कानन-पेंडारी में पौधों को रक्षा सूत्र बांधकर स्टाफ उनकी रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। इसके साथ ही यहां घूमने आने वाले पर्यटकों को भी पौधों की रक्षा के लिए संकल्प दिलाया जाता है। वन विभाग के इस आयोजन का उद्देश्य पौधों की सुरक्षा करना है। हमारी अपील है कि हर जगह रक्षा बंधन पर्व पर पौधों को भाई मानकर उनके राखी बांधे। इसके साथ ही उनकी रक्षा करने का भी संकल्प लें।

एक नजर में कानन पेंडारी जूलॉजिकल पार्क
शहर से मुंगेली रोड में 10 किलोमीटर दूर स्थित कानन पेंडारी जूलाजिकल पार्क की स्थापना साल 2004-05 में की गई थी। पहले यहां रखे गए वन्य जीव शहर के बीच स्थित विवेकानंद उद्यान (कंपनी गार्डन ) में रखे गए थे, जिन्हें यहां शिफ्ट किया गया। पर्यटन के रूप में कानन पेंडारी चिड़ियाघर प्रसिद्ध है। यह लगभग 114.636 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां तकरीबन 70 से अधिक प्रजातियों के वन्यजीव हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

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