chhattisgarhgaurav.inआज वसंत पंचमी है। इस दिन सरस्वती का पूजन किया जाता है। पुराण कहते हैं चैत्र मास की प्रतिपदा यानी गुड़ी पड़वा पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी, लेकिन उस रचना में ज्ञान की कमी थी। सरस्वती के जन्म के साथ धरती पर ज्ञान की शुरुआत हुई। जिस दिन सरस्वती प्रकट हुईं, वो दिन वसंत पंचमी का था। इसलिए ये ज्ञान यानी नॉलेज का उत्सव है।
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सरस्वती का पूजन एक परंपरा भर नहीं है, ये जीवन को सही दिशा में ले जाने की पहल है, क्योंकि ज्ञान के बिना जिंदगी का कोई अर्थ नहीं है। ये पर्व जिंदगी की सबसे बड़ी 5 जरूरी बातों को बताता है। ये पर्व समझाता है कि सरस्वती का पूजन क्यों जरूरी है। ये देवी ज्ञान देती हैं। ज्ञान से जीवन में सफलता आती है।
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पांच फरवरी को सुबह से ही पंचमी तिथि उपस्थित रहेगी और प्रातः 7 बजकर 11 बजे सूर्योदय हो जाएगा, जिसके तुरंत बाद बसंत पूजन मुहूर्त आरंभ हो जाएगा। इसलिए बसंत पंचमी पर प्रातः 7:11 बजे के बाद मध्याह्न तक कभी भी बसंत पंचमी पूजन और माता सरस्वती की पूजा की जा सकती है।
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इस दिन पीले वस्त्र पहनने और खिचड़ी बनाने और वितरित करने का प्रचलन है। श्री लक्ष्मी ज्योतिष केंद्र से ज्योतिष अन्वेषक अमित गुप्ता ने बताया कि इस दिन शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। बसंत पंचमी को स्वयं सिद्ध मुहूर्त और अनसूझ साया भी माना गया है। इस दिन बहुत से शुभ कार्य भी हो सकते हैं। गृह प्रवेश, वाहन, मकान खरीदना, व्यापार या नया रोजगार आरंभ करना, सगाई और विवाह आदि मंगल कार्य किए जा सकते हैं। इस दिन लोग पीला भोजन बनाकर उसका दान भी करते हैं।