भिलाई नगर निगम के नए मेयर नीरज पाल का पहला बजट पेश होने से पहले ही विवादित हो गया है। नगर निगम का बजट 30 मार्च को पेश होना है। कुछ पार्षदों का आरोप है कि सामान्य सभा की बैठक से पहले सभी पार्षदों को बजट की सूची देनी होती है और प्रस्तावित एजेंडे को सचिवालय में रखा जाता है। नगर निगम इस बार अपने मनमाने खर्च को छिपाने के लिए नियमों को ताक में रख रहा है। वहीं मेयर नीरज पाल ने ऐसे किसी भी नियम को सिरे से नकार दिया है।
नगर निगम भिलाई में 5 बार से लगातार निर्दलीय पार्षद वशिष्ठ नारायण मिश्रा का कहना है कि नीरज पाल खुद चार बार के पार्षद हैं। पहले जितने भी बजट पेश हुए हैं उसमें बैठक की सूचना 7 दिन पहले सभी पार्षदों की दी गई है और पार्षद प्रस्तावित बजट को अच्छे से पढ़ सकें इसके लिए सात दिन पहले उन्हें बजट पुस्तिका देकर बजट से संबंधित फाइलों की मूल नस्ती सचिवालय में रखी जाती है। सालों से नगर निगम में ऐसी परंपरा रही है। इस परंपरा को अकारण क्यों बदला जा रहा है, इसपर संदेह जताया जा राह है। बजट की बैठक डेट तय हो गई है, लेकिन प्रस्तावित बजट की सूची नहीं दी जा रही है। ऐसा करके नगर निगम प्रशासन अपने मनमाने खर्च और कालेपीले कार्यों को छिपाने का कार्य कर रहा है। जब बजट के बारे में पार्षदों को जानकारी ही नहीं होगी तो वो बजट की बैठक में चर्चा क्या करेंगे।
इस बारे में भाजपा के वरिष्ठ पार्षद पीयूष मिश्रा का कहना है कि नीरज पाल नगर निगम के मेयर और वरिष्ठ पार्षद हैं। वो मुझसे पहले से निगम में पार्षद रहे हैं। अगर इतने वरिष्ठ जनप्रतिनिधि होकर वो ऐसा बोल रहे हैं तो मैं गलत था क्यों कि मैं उनको एक समझदार जनप्रतिनिधि मानता था। इससे पहले भी बजट की पुस्तिका नहीं दी जाती थी, ये बात पूरी तरह से गलत है और मेयर पाल का बयान सोचनीय विषय है। बजट की बैठक तो एक साल में होता है। इसी बजट के बल पर तो आपको एक साल तक निगम को चलाना है। जब यही मजबूत नहीं रहेगा तो कार्यप्रणाली कैसे मजबूत रहेगी।