बलौदा ब्लाक के ग्राम पंतोरा में परंपरा अनुसार धूल पंचमी पर लठमार होली खेली जाती है। क्षेत्र में इसे डंगाही त्योहार भी कहते हैं। लठमार होली का आयोजन यहां कब से शुरू हुआ यह किसी को ठीक-ठीक याद नहीं है। वर्तमान पीढ़ी तथा ग्रामीणों का ऐसा विश्वास है कि धूल पंचमी पर लठमार होली में जिस किसी पर भी लड़कियां छड़ी का प्रहार करती हैं, उन्हें सालभर तक कोई बीमारी नहीं होती। जिले में एकमात्र पंतोरा ही ऐसी जगह है जहां पर यह अनूठी परंपरा है। लठमार होली देखने पहरिया, बलौदा, कोरबा सहित आसपास क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में पंतोरा आते हैं। कन्याएं उन पर भी छड़ियों से प्रहार करती हैं।
मंदिर से बाजे-गाजे व रंग गुलाल के साथ ग्रामीणों की टोली के आगे-आगे छड़ी लिए कन्याएं चलती हैं। इस दौरान उन्हें रास्ते में जो भी मिलता है उन पर ये कन्याएं छड़ी बरसाने टूट पड़ती हैं। गांव के सभी लोग अपने-अपने घरों से निकलकर लठमार होली में शामिल होते हैं। इस दौरान रंग गुलालों की भी बौछार होती है। हाथों में छड़ी लिए कन्याओं की टोली ग्रामीणों के साथ गांव में रात 8 बजे तक भ्रमण कर लोगों पर छड़ियां बरसाती रहती हैं। इस दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने पुलिस भी चौकस रहती है। छड़ियों के प्रहार से पुलिस भी नहीं बच पाती। साल भर स्वस्थ रहने की कामना लिए मां अपने दूधमुंहे बच्चों को लेकर घर के सामने कन्याओं की टोली का इंतजार करती रहती हैं जैसे ही उनकी टोली घर के सामने पहुंचती है बच्चों को उनके सामने कर दिया जाता है और कन्याएं आशीर्वाद स्वरूप उन पर छड़ी का हल्का प्रहार करती हैं