झारखंड के देवघर में त्रिकुट पर्वत पर रोप-वे हादसे का मंगलवार को तीसरा दिन है। 42 घंटे से ज्यादा हो गए हैं। अब भी 2500 फीट ऊंचाई पर रोप-वे की 3 ट्रॉलियों में लोग फंसे हैं। वायुसेना के जवान हेलिकॉप्टर से ट्रॉलियों तक पहुंच गए हैं। तीसरे दिन ढाई घंटे के ऑपरेशन में 14 लोगों मे से 7 काे निकाल लिया गया है। इसमें दो बच्चियां हैं। अब सिर्फ 7 लोग रेस्क्यू के लिए रह गए हैं। सोमवार शाम को एक जवान ट्रॉली में फंस गया था, जिसे सुबह निकाला गया।
सेना, वायुसेना, आईटीबीपी और NDRF की टीमों ने सोमवार को 12 घंटे के ऑपरेशन के बाद 33 लोगों को तीन हेलिकॉप्टर और रस्सी के सहारे बचाया गया था। रेस्क्यू के दौरान सेफ्टी बेल्ट टूट जाने के कारण एक व्यक्ति की हेलिकॉप्टर से नीचे गिर कर मौत हो गई। अंधेरा और कोहरा हो जाने की वजह से ऑपरेशन बंद कर दिया गया था। अब तक कुल तीन लोगों की मौत हुई है। एक की पुष्टि प्रशासन ने नहीं की है। 12 लोग घायल हैं।
वायु सेना, सेना और एनडीआरएफ की टीम अतिरिक्त सतर्कता बरत रही हैं। टीम में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि तीन ट्रॉली सबसे ऊंचाई पर हैं। लिहाजा इनमें से लोगों को बाहर निकालने के लिए काफी योजनाबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है। रोप-वे के तार के कारण लोगों तक पहुंचने में कठिनाई आ रही है।
अब तक इस ऑपरेशन में वायु सेना के तीन हेलिकॉप्टर को लगाया गया है। आला अधिकारी लगातार मौके पर कैंप कर रहे हैं। इस हादसे में पिछले दो दिनों में कुल 42 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। कुछ लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। इसमें महिलाएं और बच्चियां शामिल हैं। कुछ घायलों को आईसीयू में भी रखा गया है।
दो ट्रॉली में एक ही परिवार की लगभग लगभग 8 से 10 लोग शामिल थे, जोकि देवघर के राम मंदिर रोड मोहल्ले के निवासी हैं। इनमें छठी लाल साह, उनकी धर्मपत्नी शोभा देवी, पुत्र अमित कुमार, पुत्र वधू खुशबू कुमारी, जया कुमारी, दो बच्चे 3 साल का वीर एवं 10 साल का कर्तव्य शामिल थे। परिवार रात भर बिना पानी के ही गुजारा। सुबह में किसी तरह पानी पहुंचाया गया। इसमें से अधिकतर को निकाल लिया गया है। फंसे लोगों को खाना और पानी पहुंचाने के लिए पटना से ड्रोन मंगाया गया था, लेकिन शाम होने की वजह से पहुंचाया नहीं जा सके। लोग भूखे-प्यासे ही रहे। इसमें 3 और 4 साल के बच्चे हैं


