बड़वानी जिले के सेंधवा विकासखंड के ग्राम धनोरा के नवाड फलिया में सोमवार को एक अजीब मामला सामने आया। यहां पर करीब 17 साल से लापता एक युवक जब वापस अपने स्वजनों से मिला तो सभी रो पड़े। जिस बेटे को परिवार के लोग मृत मान चुके थे और उसका अंतिम क्रिया कर्म भी कर दिया था, उसके लौटने पर सभी स्वजनों के अरमान फिर से जिंदा हो गए। स्वजनों के साथ गांव के सरपंच, पंच व अन्य लोगों ने भी आश्चर्य व खुशी जताई।
मानसिक परेशानी के चलते चला गया था
दरअसल ग्राम धनोरा के नवाड़ फलिया का युवक प्रेमसिंह पुत्र लच्छिया मानसिक परेशानी के चलते 17 साल पूर्व वर्ष 2006 में दीपावली की धनतेरस पर बगैर बताए घर से कहीं पर चला गया था। उसके स्वजनों ने उसे काफी तलाशा लेकिन नहीं मिला। वहीं गुमशुदगी भी दर्ज कराई गई। वर्ष 2014 में प्रेमसिंह के गुम होने के गम में उसकी मां का निधन हो गया। इस दौरान स्वजनों ने भी प्रेमसिंह को मृत मानकर उसकी मां के साथ ही उसका भी अंतिम क्रियाकर्म कर दिया।
मुंबई में रह रहा था युवक
मानसिक रूप से बीमार युवक प्रेमसिंह मुंबई पहुंच गया। यहां पर काफी समय तक वह रहा। यहां पर एक एनजीओ ने उसका इलाज कराया और उसके घर का पता लगाकर उसे यहां पर छोड़ने आए। उसके भाई दिलीप ने बताया कि गत 24 फरवरी को मुंबई से एक फोन आया। उधर से एक व्यक्ति ने कहा कि आपका भाई प्रेमसिंह जिंदा है और उसे लेकर हम आ रहे हैं। यह खबर सुनकर सभी को हैरानी व खुशी हुई। यकीन नहीं हुआ तो गांव के सरपंच व अन्य लोगों को सूचना दी। वहीं जब एनजीओ के लोग धनोरा बस स्टैंड पर पहुंचे तो प्रेमसिंह को देखा। उसके हाथ पर लिखे उसके नाम व हनुमानजी के टैटू को देखकर उसे पहचाना गया। उसके पिता लच्छिया के अनुसार वह वर्ष 2001 से मानसिक रूप से बीमार था। उसकी चिंता पूरे परिवार को रहती थी। अब जब वह स्वस्थ्य हो गया है तो सभी को उसके लौटने की खुशी हुई।


