Wednesday, December 10, 2025

चिंतन -मनन

हम बोलते बहुत ज़्यादा

बताते कुछ कम हैं
रिश्ते निभाते बहुत ज़्यादा
उन्हे जीते कुछ कम हैं
हम पढ़ते बहुत ज़्यादा
समझते कुछ कम हैं
उपदेश देते बहुत ज़्यादा
मिसाल बनते कुछ कम हैं
हम धार्मिक बहुत ज़्यादा
धर्म समझते कुछ कम हैं
भगवान से माँगते बहुत ज़्यादा
शुक्रिया करते कुछ कम हैं
हम बाहर ताकते बहुत ज़्यादा
भीतर झाँकते कुछ कम हैं
कल के सपने बुनते बहुत ज़्यादा
आज को समेटते कुछ कम हैं
हम बहस करते बहुत ज़्यादा
मुद्दे समझते कुछ कम हैं
चिंता करते बहुत ज़्यादा
परवाह करते कुछ कम हैं
हम प्रेम के गीत गाते बहुत ज़्यादा
मोहब्बत गुनगुनाते कुछ कम है
दिलासा देते बहुत ज़्यादा
मरहम लगाते कुछ कम हैं
हम मुस्कुराते बहुत ज़्यादा
हँसते खिलखिलाते कुछ कम हैं
मौत से डरते बहुत ज़्यादा
जिंदगी जीते कुछ कम हैं।
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