“कमल किचड़ मे भी रहकर अपनी अलग पहचान बनाता
है”
यही बात मुझे बुराई के बीच रहकर भी अच्छा करने के
लिये प्ररित करती है।
जिस तरह कमल कीचड़ मे रहकर भी अपने अंदर कीचड़
वाले गुण विकसित नही होने देता है ,
उसी तरह चाहे हमारे आस-पास कितनी ही बुराईयाँ
हो पर उसे अपने अंदर पनपने नही देना चाहिये।
हमे अपनी अलग पहचान बनानी चाहिये।
जिस तरह
रामायण मे दो व्यक्ति थे…
एक विभीषण और एक कैकेयी.
विभीषण रावण के राज्य में रहता था फिर भी नही
बिगडा…
कैकेयी # राम के राज्य में रहती थी फिर भी नही
सुधरी..
तात्पर्य…
सुधरना एवं बिगडना
केवल मनुष्य के
सोच और # स्वभाव पर निर्भर होता है……


