बात 1978 की है। समस्तीपुर (बिहार) में जी. कृष्णन, जिला मजिस्ट्रेट होकर नए नए गए थे। एक दिन वह निरीक्षण के लिए वहां के मुख्यमंत्री के पैतृक गांव के पास से गुजर रहे थे, तभी उनके साथ चल रहे अंचलाधिकारी ने खेत में बकरी चरा रही एक महिला को देखा और फिर उसने उन्हें बताया कि वह महिला मुख्यमंत्रीजी की धर्मपत्नी हैं। ये सुनते ही डीएम बुरी तरह झल्ला गए। उन्होंने कहा कि मैं नया हूं, इसलिए तुम मुझे कुछ भी उल्टा-पुल्टा बता रहे हो। अंचलाधिकारी ने कहा ‘सर मैं सही बोल रहा हूं’। डीएम ने कहा कि अगर तुम्हारी बात गलत निकली तो मैं तुम्हें निलंबित कर दूंगा!
और फिर कृष्णन ने खुद जाकर, गांव के लोगों से पूछा तो बात सही निकली!!
और वो मुख्यमंत्री थे..
जननायक कर्पूरी ठाकुर!
जो कि तब पिछले 27 सालों यानि सन 1952 से, लगातार एम एल ए थे। 1967 में बिहार के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके थे, अनेक बार नेता प्रतिपक्ष रह चुके थे और उस समय पिछले साल भर से बिहार के मुख्यमंत्री थे।
सिर्फ इतना ही नहीं, उनके वृद्ध पिता, जो कि जाति से नाई थे, उस समय भी गांव के लोगों के बाल काटने का काम करते थे।
कर्पूरी जी बहुत सादगी से रहते थे। उनका लिबास था, साधारण गंवई धोती और कुर्ता। वो भी भी नया नहीं वरन् फटा पुराना घिसा हुआ, पर साफ़ सुथरा धुला हुआ, बिना इस्त्री किया हुआ!!