नई दिल्ली, एएनआइ। आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट की बैठक में इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम ग्रीन एनर्जी कारिडोर के दूसरे चरण को आज स्वीकृति मिल गई। इस परियोजना पर लगभग 12,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे 10750 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण होगा। दूसरे चरण में सात राज्य गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान में 10750 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण होगा। पहलेे चरण का लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। यह जानकारी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी है।
साथ ही उन्होंने कहा कि भारत- नेपाल के बीच महाकाली नदी के ऊपर धारचुला में एक पुल बनाने का निर्णय भी कैबिनेट की बैठक में लिया गया है। इससे संबंधित एमओयू जल्द साइन किया जाएगा। इससे उत्तराखंड में रहने वाले लोगों को लाभ होगा और नेपाल की तरफ रहने वाले लोगों को भी लाभ होगा।
An MoU will be signed between India and Nepal to construct a bridge over River Mahakali which will help the people living in Uttarakhand (Dharchula) and in the area under Nepal territory: Union Minister Anurag Thakur pic.twitter.com/rwfhFpm5TA
— ANI (@ANI) January 6, 2022
हाल ही में ग्लासगो में COP26 जलवायु सम्मेलन में किए गए भारत की महत्वाकांक्षी उत्सर्जन नियंत्रण प्रतिबद्धताओं, क्षेत्रों में निवेश के लिए बड़े अवसर खुले हैं और सरकार द्वारा समय पर हस्तक्षेप की आवश्यकता है और बिजली, उद्योग और परिवहन जैसे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक क्षेत्रों में बड़े कैपेक्स की आवश्यकता है। रेटिंग एजेंसी आइसीआरए की रिपोर्ट में कहा गया है कि रोडमैप से न केवल कार्बन में कमी, बल्कि ऊर्जा दक्षता और हरित ईंधन में नई प्रौद्योगिकियों के निर्माण से भारत को लाभ होने की उम्मीद है। आइसीआरए ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा, कार्बन कैप्चर तकनीक, ईवी पारिस्थितिकी तंत्र, ऊर्जा दक्षता में सुधार और इथेनॉल सम्मिश्रण जैसे क्षेत्रों में निवेश के अवसर उपलब्ध होंगे।
बता दें कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक ग्रीन एनर्जी परियोजना का उद्देश्य सोलर और पवन ऊर्जा जैसे पर्यावरण के अनुकूल स्रोत से मिलने वाली बिजली को ग्रिड के जरिये पारंपरिक बिजली स्टेशनों की मदद से ग्राहकों तक पहुंचाना है।