नई दिल्ली । हां! आपके क्रेडिट कार्ड की वजह से महंगाई बढ़ रही है। निश्चित रूप से यह लेनदेन को सुविधाजनक बनाता है, सिक्योरिटी को सुनिश्चित करता है और आज के समय में यह रिवॉर्ड हासिल करने का एक शानदार मौका भी है लेकिन क्रेडिट कार्ड कंपनियों का मॉडल जैसा हमें दिखता है, उससे कहीं बढ़कर है।
कई लोग ऐसा सोचते हैं कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने वाले अधिकतर लोगों के पास पर्याप्त पैसे नहीं होते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि अमीर लोग क्रेडिट कार्ड का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। वे 45 दिन के ब्याज रहित लोन का इस्तेमाल अमूमन इंटरेस्ट आर्बिट्रेशन के लिए करते हैं। वे आम तौर पर ऐसी कंपनी का क्रेडिट कार्ड लेना चाहते हैं, जो ज्यादा रिवॉर्ड देती है। लेकिन यह कंपनियां भारी-भरकम रिवॉर्ड पर इतनी अधिक धनराशि कैसे खर्च करती हैं। यह आम तौर पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट से जुड़ा हुआ है। यह चार्ज उस मर्चेंट से लिया जाता है, जिसके यहां कार्ड को स्वाइप किया गया था।
उदाहरण के लिए, X नामक एक क्रेडिट कार्ड कंपनी किराना के सामान पर 2-4% का डिस्काउंट देती है। कोई व्यक्ति ‘W Provisions’ से X कंपनी के क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हुए ग्रॉसरी खरीदता है और चार प्रतिशत की छूट प्राप्त करता है। अब आप ही अंदाजा लगाइए कि चार प्रतिशत का नुकसान किसे हुआ होगा?
यह नुकसान W Provision को उठाना पड़ा होगा! आखिरकार, उसे डिस्काउंट के बराबर की रकम क्रेडिट कार्ड कंपनी को देनी पड़ेगी। अब सवाल ये उठता है कि कोई भी प्रोविजन स्टोर X कार्ड के इस्तेमाल के जरिए ग्रॉसरी खरीदने वाले हर ग्राहक पर इतना अधिक नुकसान क्यों उठाता है? जवाब बिल्कुल साफ है; एक कस्टमर के तौर पर अगर आपको W Provisions में डिस्काउंट नहीं मिलता है तो आप किसी और स्टोर पर चले जाएंगे।