Sunday, December 7, 2025

कर्नाटक में थम नहीं रहा बवाल, हिजाब आवश्‍यक धार्मिक प्रथा नहीं, जानें हाईकोर्ट में राज्‍य सरकार ने क्‍या दी दलीलें

 हिजाब विवाद को लेकर दायर याचिकाओं पर सोमवार को भी कर्नाटक हाईकोर्ट की सुनवाई जारी रही। हाईकोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ के सामने कर्नाटक सरकार ने अपनी दलीलें रखी। कर्नाटक सरकार (Karnataka government) ने सोमवार को दोहराया कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है। राज्‍य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी (Prabhuling Navadgi) ने कहा कि धार्मिक प्रतीकों को शैक्षणिक संस्थानों के बाहर रखा जाना चाहिए।

पीटीआइ के मुताबिक जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी ने कहा कि हिजाब से संबंधित कुछ स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। इस पर कर्नाटक के महाधिवक्ता नवदगी ने कहा कि केवल अनुच्छेद-25 के तहत केवल जरूरी धार्मिक प्रथा को संरक्षण मिलता है। यह नागरिकों को उनकी पसंद के आधार पर धार्मिक विश्वास की गारंटी देता है। उन्होंने अनुच्छेद-25 के भाग के रूप में ‘धर्म में सुधार’ का भी उल्लेख किया।

समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आपने तर्क दिया है कि सरकारी आदेश हानिकर नहीं है। राज्य सरकार ने हिजाब पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। सरकारी संस्‍थाओं का कहना है कि विद्यार्थियों को निर्धारित यूनिफार्म पहननी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने महाधिवक्ता से पूछा आपका क्या रुख है। क्या शिक्षण संस्थानों में हिजाब की अनुमति दी जा सकती है या नहीं?

इस पर महाधिवक्ता नवदगी ने कहा कि यदि संस्थान इसकी अनुमति देते हैं तो सरकार संभवत: इस पर निर्णय लेगी। इस बीच राज्य में सोमवार को भी छात्राओं की ओर से इस मुद्दे पर विरोध जारी रहा। कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देने पर कई छात्राओं ने 2 पीयूसी प्रैक्टिकल परीक्षाओं का बहिष्कार किया। हालांकि अधिकांश हिजाब उतारकर परीक्षा में शामिल हुईं। बेंगलुरु में शैक्षणिक संस्थानों के आसपास के 200 मीटर के दायरे में लगाई गई धारा-144 को आठ मार्च तक बढ़ा दिया गया है।

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