Thursday, August 14, 2025

उपेक्षा का शिकार हो रहा राजपरिवार का इकलौता शिव मंदिर, पुरातत्व महत्व के इतिहासों से है परिपूर्ण

कोरबा । जिला पुरातात्विक महत्व के इतिहासों से परिपूर्ण है। यहां ऐतिहासिक मंदिरों की महत्ता से जिला ही नहीं बल्कि प्रदेश और देशवासी भी ज्ञात हैं। पर्यटन के दृष्टिकोण से भी कोरबा को नक्शे पर उभारने की विशेष कवायदें लगातार की जा रहीं हैं। इन कवायदों में एक ऐसा शिव मंदिर उपेक्षित है जो संभवत: जिला ही नहीं बल्कि राज्य और देश भर में पंचमुखी(पांच पिण्ड) शिवलिंग वाला सम्भवत: इकलौता मंदिर कहा जा रहा है।राजपरिवार के दौर में यह शिवलिंग मनोकामना पूर्ति उपरांत स्थापित किया गया है।
जिले के ग्राम कनकी में स्वयं-भू (भुंईफोड़) शिवलिंग की प्राचीन महत्ता है तो वहीं पाली में ऐतिहासिक 14वीं शताब्दी का शिव मंदिर शोभायमान है। माँ सर्वमंगला मंदिर, मड़वारानी मंदिर, महिषासुर मर्दिनी, कोसगाई देवी का पहाड़ पर स्थित मंदिर, तुमान का शिव मंदिर जैसे अनेक इतिहासों को समेटने वाले इस जिले के कोरबा शहर में पंचमुखी शिवलिंग न सिर्फ आश्चर्य बल्कि आस्था और पर्याप्त संरक्षण की अपेक्षा रखता है। नगर पालिक निगम क्षेत्र के वार्ड क्र.-4 देवांगन पारा के पुरानी बस्ती में रानी रोड स्थित कमला नेहरू महाविद्यालय जो कि पूर्व में रानी धनराज कुंवर देवी का महल हुआ करता था, के ठीक पीछे हसदेव नदी के तट पर यह पंचमुखी शिवलिंग वाला मंदिर स्थापित है। नदी के ठीक दूसरे किनारे पर मां सर्वमंगला विराजमान हैं। कहा जाता है कि रानी महल के भीतर एक सुरंग है और इस सुरंग के रास्ते से होकर नदी के नीचे-नीचे मां सर्वमंगला मंदिर के निकट रास्ता निकलता है। राजपरिवार के लोग इसी रास्ते से माता का दर्शन कर वापस महल लौटते थे। बताया जाता है कि पंचमुखी शिव मंदिर में एक और शिवलिंग है जो स्वयं भूमि से प्रकट हुआ है। यहां उस दौर की गणेश भगवान की मूर्ति भी स्थापित है जो अपने आपमें अनूठी ही नहीं बल्कि इस संरचना की दूसरी मूर्ति विरली ही है।
सेवाभावी युवा दे रहे ध्यान
पुरानी बस्ती निवासी केशव साहू, सत्या जायसवाल, ज्योति दास दीवान, लाला निर्मलकर, इदृष्टि निर्मलकर, दादूराम निर्मलकर, मुन्ना राय, सत्येंद्र निर्मलकर, राहुल साहू आदि युवाओं और बस्ती के सेवाभावी लोगों के द्वारा इस मंदिर की देखरेख की जा रही है। युवा और कुछ महिलाएं यहां नियमित साफ-सफाई कर संवार रहे हैं। पूर्व पार्षद मनीष शर्मा के द्वारा हसदेव नदी के किनारे घाट पर विकास कार्य कराए गए और मंदिर के प्रति भी इनका विशेष लगाव है। इन्होंने जिला प्रशासन से अपेक्षा जाहिर की है कि पुरातात्विक महत्व के मंदिरों, मूर्तियों की तरह दुर्लभ पंचमुखी शिवलिंग का भी संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कार्य किए जाएं।

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