रायपुर । छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बोरियाकला स्थित शंकराचार्य आश्रम परिसर में प्रतिष्ठापित राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी की नवरात्र पर विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है। नवरात्र के पांचवें दिन बुधवार को पंचमी तिथि पर देवी मंदिरों में प्रतिमा का श्रृंगार दर्शन करने श्रद्धालु उमड़ेंगे। त्रिपुर सुंदरी मंदिर में माता के हजार नामों से कमल फूल और गुलाब फूल अर्पित करके पूजा की जाएगी।
त्रिपुर सुंदरी मंदिर के प्रमुख आचार्य ब्रह्मचारी डा.इंदुभवानंद महाराज ने बताया कि शंकराचार्य आश्रम में माता की प्रतिमा स्फटिक मणि से निर्मित है। विश्व की पहली एकमात्र स्फटिक मणि से निर्मित त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमा के दर्शन करने मात्र से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी श्री विद्या की एकमात्र अधिष्ठात्री देवी हैं, माता के रूप को श्रीपंचमी भी कहा जाता है। किसी भी व्यक्ति को जन्म जन्मांतर की पूर्व साधना के परिणामस्वरूप ही श्री विद्या अथवा ललिता सहस्रनाम की साधना प्राप्त होती है। मां ललिता राजराजेश्वरी सौंदर्य, आनंद और अनुग्रह की साक्षात मूर्ति है। त्रिपुर सुंदरी कीट से लेकर ब्रह्मा तक की माता है, वे क्रिया शक्ति की प्रतीक है। जगत की सभी वस्तुएं उनकी हैं।
महाराजश्री ने बताया कि नवरात्र के पांचवे दिन माता के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। माता की आराधना करने से नकारात्मक शक्ति का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शांति, सुख की अनुभूति होती है। परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है, जिस तरह मां अपने पुत्र पर स्नेह रखती है, वैसे ही माता अपने भक्त पर कृपा करती हैं।