यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई शुरू करने के बाद रूस की सेना ने महज 30 घंटे के अंदर राजधानी कीव में पहुंचकर सभी को हैरान कर दिया है। यूक्रेनी सेना के लिए रूस की ज्यादा बड़ी और सीरिया के गृह युद्ध के दौरान लड़ाई का बेहतरीन अनुभव ले चुकी सेना का सामना करना बेहद मुश्किल रहा। हालांकि यूक्रेन को चुटकी में पछाड़ देने का यह इकलौता कारण नहीं है।
दरअसल, रूस ने अपनी सेना की सबसे डेंजरस मानी जाने वाली स्पेशल कमांडो यूनिट को यूक्रेन फतह की जिम्मेदारी दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस ने सीमा पार कर यूक्रेन में घुसने की जिम्मेदारी एलीट फोर्स स्पेत्सनाज की स्पेशल कमांडो टीम को दी है। रिपोर्ट्स में नाटो के हवाले से बताया गया है कि स्पेत्सनाज कमांडोज को रूस ने पहले ही जॉइंट मिलिट्री ड्रिल्स के बहाने बेलारूस में तैनात कर दिया था।
नाटो के मुताबिक स्पेत्सनाज रूसी सेना की ऐसी यूनिट है, जो वॉरटाइम के अलावा शांतिकाल में भी पूरी दुनिया में इमरजेंसी सिचुएशन में रूस के लिए स्पेशल मिशन को अंजाम देती रही है। इसके कमांडो बेहद खतरनाक और अनुभवी लड़ाके होते हैं। माना जा रहा है कि इसी कारण वे तेजी से यूक्रेन में अंदर तक घुसकर कीव तक पहुंचने में सफल रहे।
पहले रूस की मिलिट्री इंटेलिजेंस सर्विस GRU के बारे में जानना जरूरी
रूसी सेना की स्पेशल कमांडो यूनिट स्पेत्सनाज के बारे में जानने से पहले वहां की मिलिट्री इंटेलिजेंस सर्विस ग्लेवोनॉय राजवेडीवातेलनॉय उपरावेलेनी (GRU) के बारे में जानते हैं।
- सोवियत यूनियन के समय GRU को वहां की खुफिया एजेंसी KGB के एक हिस्से के तौर पर बनाया गया था।
- 1991 में सोवियत यूनियन टूटने पर ऐसा माना जाता है कि रूस ने KGB के बजाय GRU को ज्यादा तरजीह दी।
- एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के मुताबिक आज की तारीख में GRU ही रूस की मेन इंटेलिजेंस डायरेक्ट्रेट है।
- माना जाता है कि 2018 में इंग्लैंड के सेलिसबरी में एक्स रूसी जासूस पर नर्व गैस हमले में GRU का ही हाथ था।
GRU का ही हिस्सा है स्पेत्सनाज कमांडो यूनिट
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक स्पेत्सनाज GRU की ही स्पेशल मिशन यूनिट है, जिसका काम जासूसी के साथ ही जरूरत पड़ने पर दूसरे देशों में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देना भी है। रशियन लैंग्वेज के वर्ड स्पेत्सनाज की इंग्लिश मीनिंग ‘स्पेशल डेजिग्नेशन’ होती है। हिंदी में इसका मतलब ‘विशेष काम’ होता है। इस शब्द का इस्तेमाल रूसी सेना की सबसे एलीट मिलिट्री यूनिट के लिए किया जाता है।
- सोवियत यूनियन के समय में ही गठित कर ली गई थी स्पेत्सनाज।
- स्पेत्सनाज का गठन 1915 में वर्ल्ड वॉर-1 के दौरान किया गया था।
- 1949 में कोल्ड वॉर के लिए इसकी स्पेशल कमांडो यूनिट बनाई गई।
- स्पेत्सनाज स्पेशल यूनिट में 1500 से 2000 के करीब कमांडो तैनात हैं।
- इस कमांडो यूनिट को सीधे फेडरल सिक्योरिटी सर्विस ऑर्डर देती है।
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रूस के लिए कई स्पेशल मिशन को दिया अंजाम
BBC के मुताबिक, स्पेत्सनाज कमांडोज ने रूस के लिए कोल्ड वॉर से लेकर अब तक बहुत सारे एक्टिव मिशन को अंजाम दिया है। इसकी भूमिका दुश्मन की सीमा के अंदर घुसकर एयरबोर्न बैटलफील्ड रिकॉनिसेंस फोर्स की रही है।- 1979 में अफगानिस्तान में रूस की घुसपैठ को सफल बनाया
- दो दशक पहले चेचेन विद्रोहियों पर हमला कर उन्हें खत्म किया
- सीरिया में चल रहे गृह युद्ध में रूस की तरफ से एक्टिव रोल रहा है
स्पेत्सनाज के अंदर भी स्पेशलाइज्ड विंग्स, चेर्नोबिल पर कब्जा इसी विंग ने किया
रूसी सेना की स्पेशल ऑपरेशनल कमांडो यूनिट स्पेत्सनाज के अंदर भी अलग-अलग विंग बनाए गए हैं, जो डिफरेंट रोल्स में स्पेशलाइज्ड हैं। इनमें एक स्पेशलाइज्ड विंग का नाम ‘वेगा’ है, जो न्यूक्लियर घटनाओं से निपटने में माहिर है। इसी टीम ने यूक्रेन में घुसने के बाद चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट पर रूसी सेना के कब्जे को सफल बनाया है।स्पेत्सनाज की एक विंग का नाम फेकल (टॉर्च) है, जो होस्टेज सिचुएशन (आतंकियों द्वारा नागरिकों को बंधक बनाने की स्थिति) से निपटने में स्पेशलाइज्ड है।


