कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को दलितों पर लिखी किताब ‘द दलित ट्रूथ: द बैटल्स फॉर रियलाइजिंग अंबेडकर्स विजन’ का विमोचन किया। दिल्ली स्थित जवाहर भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में राहुल ने साल 2016 में गुजरात के ऊना में दलित नौजवानों के साथ हुई मारपीट का भी जिक्र किया। राहुल ने दलित नौजवानों को नसीहत देते हुए कहा कि वह अगर उनकी जगह होते तो हमलावारों को चाकू मारने के बाद आत्महत्या करते।
ऊना में दलित नौजवानों के साथ हुई हिंसा पर भी बोले राहुल
राहुल ने गुजरात के ऊना में दलित नौजवानों के साथ हुई हिंसा के बारे में बताया- ‘जब मैं पीड़ितों से मिला तो मैंने उनके पिता का हाथ थामा। उनका हाथ कांप रहा था। मैंने उनसे कहा कि मैं आपके साथ हूं। उस समय उन्होंने बताया कि राहुल जी पहली बार दलितों ने रिस्पॉन्स दिया। मैंने सोचा यह कैसा रिस्पॉन्स की 17 लड़कों ने आत्महत्या करने की कोशिश की।’
राहुल ने आगे कहा- ‘इसके बाद मैंने ICU पहुंच कर पीड़ितों से बात की। उन्होंने बताया कि राहुल जी हमें पता चला की हमारे भाई से मारपीट हुई है, लेकिन हम कुछ कर नहीं सकते थे तो हमने गुस्से में जहर पी लिया। मैंने उनसे साफ कहा कि मेरी बहन को किसी ने बांध कर कुत्ते जैसे मारा होता तो आत्महत्या करने से पहले एक बार तो हमलावार को चाकू जरूर मारता।’
दरअसल, गुजरात के ऊना में 11 जुलाई, 2016 को कथित गोवध के लिए तथाकथित गोरक्षा दल ने कुछ दलित युवकों की पिटाई की गई। इसके विरोध में 17 दलित युवकों ने आत्महत्या की कोशिश की। दलितों ने गोवध से इनकार किया था और कहा था कि उन्होंने सिर्फ एक मृत गाय की चमड़ी निकाली थी।
कुछ नेता सोते-जागते सिर्फ सत्ता के बारे में सोचते हैं
राहुल ने कहा कि देश में ऐसे राजनेता भी हैं, जो सत्ता के बारे में ही सोचते हैं। वे सुबह उठकर सोचते हैं कि सत्ता कैसे मिलेगी, रात तक वही करते हैं फिर सो जाते हैं। अगले दिन फिर उठकर सोचते हैं कि सत्ता कैसे मिलेगी।


