Wednesday, December 10, 2025

चिंतन मनन

एक दिन स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण एक दर्जी का बेटा अपने पिता की दुकान पर चला गया। वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पिता को काम करते हुए देखने लगा। उसने देखा कि उसके पिता कैंची से कपड़े को काटते हैं और फ़िर कैंची को अपने पैर के नीचे दबा कर रख देते हैं। फिर सुई से उसको सीते हैं और सिलाई के बाद सुई को अपनी टोपी में लगाकर रख लेते हैं।

जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया।फ़िर उसने अपने पिता से कहा कि वह उनसे एक जरूरी बात जानना चाहता है?

पिता ने कहा – बेटा बोलो! क्या पूछना चाहते हो?

बेटा बोला – पिताजी मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं, आप जब भी कपड़ा काटते हैं उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं और सुई से कपड़ा सीने के बाद उसे टोपी में लगाकर रख लेते हैं,आखिर ऐसा क्यों?

अपने बेटे के प्रश्न का उत्तर उसके पिताजी ने जिस मासूमियत से दिया उन दो पंक्तियाँ में मानों उन्होंने ज़िन्दगी औऱ मानव मूल्यों का पूरा सार ही समझा दिया।

पिता का उत्तर था – “बेटा! कैंची काटने का काम करती है और सुई जोड़ने का । हमारे समाज में काटने, बांटने औऱ नफ़रत फैलाने वाले का स्थान सदैव से ही नीचे होता है परन्तु जोड़ने,आपसी भाईचारे औऱ प्रेम का संदेश देने वाले का स्थान हमेशा ऊपर यानि सिर माथे पर होता है। बस यही कारण है कि मैं सुई को अपने सिर में लगी टोपी में लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे दबाकर रखता हूं।”

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