Tuesday, December 9, 2025

चिंतन मनन

*वास्तविक शक्ति*

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*अमेरिका की बात हैं। एक युवक को व्यापार में बहुत नुकसान उठाना पड़ा। उसके सर पर बड़ा कर्ज चढ़ गया। तमाम जमीन जायदाद गिरवी पर चली गई। दोस्तों ने – भी मुंह फेर लिया। जाहिर है वह बहुत निराश था और हताश भी। कहीं से कोई राह नहीं सूझ रही थी। आशा की कोई किरण नहीं दिखाई देती थी।*
*एक दिन वह बगीचे में बैठा अपनी परिस्थितियों पर चिंतन कर रहा था। तभी एक बुजुर्ग वहां पहुंचे कपड़े और चेहरे व हाव-भाव से वो काफी अमीर लग रहे थे। बुजुर्ग ने चिंता का कारण पूछा तो उसने अपनी सारी कहानी बता दी। बुजुर्ग बोले, चिंता मत करो। मेरा नाम जॉन डी. रॉकफेलर है। मै तुम्हें नहीं जानता, पर तुम सच्चे और ईमानदार लग रहे हो।*
*इसलिए मैं तुम्हे 10 लाख डॉलर का कर्ज देने को तैयार हूं। फिर जेब से चेकबुक निकाल कर उन्होंने रकम दर्ज की और उस व्यक्ति को देते हुए बोले, नौजवान, आज से ठीक 1 साल बाद हम इसी जगह पर मिलेंगे। तब तुम मेरा कर्ज चुका देना” इतना कहकर वे चले गए युवक अवाक था। रॉकफेलर तब वहां की अमीर शख्सियत में से एक थे।*
*युवक को तो भरोसा ही नहीं हो रहा था कि उसकी लगभग पूरी मुश्किल हल हो गई है। उसके पैरों को पंख लग गए। घर पहुँचकर वह हिसाब लगाने लगा। बीसवीं सदी की शुरुआत में 10 लाख डॉलर बहुत बड़ी धनराशि होती थी। अचानक उसे झटका लगा। उसने सोचा, एक अपरिचित व्यक्ति ने मुझ पर भरोसा किया, पर मैं खुद पर भरोसा नहीं कर रहा हूँ।*
*यह ख्याल आते ही उसने उस चेक को सम्भालकर रख लिया। उसने निश्चय किया कि पहले वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगा, उसक बाद कोई चारा न रहने पर ही चेक का इस्तेमाल करेगा। युवक ने खुद को झोंक दिया। बस एक ही धुन थी, किसी तरह सारे क़र्ज़ चुकाकर अपनी प्रतिष्ठा को फिर से पाना हैं। उसकी कोशिशे रंग लाने लगी। कारोबार उबरने लगा, कर्ज चुकने लगे। साल भर बाद तो वह पहले से भी अच्छी स्थिति में था।*
*निर्धारित दिन ठीक समय पर वह बगीचे मे पहुंच गया। वह चेक लेकर रॉकफेलर का इंतजार रहा था कि वे दूर से आते दिखे। जब वे पास पहुंचे तो युवक ने बड़ी श्रद्धा से अभिवादन किया। उनकी और चेक बढाकर उसने कुछ कहने के लिए मुहं खोला ही था कि एक नर्स भागते हुए आई और झपट्टा मारकर वृद्ध को पकड़ लिया। युवक हैरान रह गया।*
*नर्स बोली,” यह पागल बार – बार पागलखाने से भाग जाता है और लोगो को जॉन डी रॉकफेलर के रूप में चेक बांटता फिरता है।*
*अब वह युवक पहले से भी ज्यादा हैरान रहा गया। जिस चेक के बल पर उसने अपना लगभग डूब चूका कारोबार फिर से खड़ा किया, वह फर्जी था।*
*सफल होने की वास्तविक शक्ति हमारे इरादे, हौंसले और प्रयास मे ही है।*
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