अमीर
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तन्विक को थोड़ा उदास देख दादाजी ने पूछ लिया, ‘क्या बात है बेटे आज इतनी गमगीन मुद्रा में कैसे?
कुछ परेशानी है तो कहो?’ ‘
क्या कहू दादाजी ‘अमीर’ शब्द पर कुछ लिख कर लेकर जाना है कल विद्यालय में और मुझे चार-पांच लाइन के बाद कुछ शब्द ही नहीं मिल रहे हैं, क्या लिख ?’
बस इतनी सी बात। पहले तुम यह बतलाओ इस शब्द का मतलब क्या है?’
‘अरे इसमें कौनसी बड़ी बात है जिसके पास बहुत सा रुपया-पैसा हो वही अमीर है और क्या?’ तन्विक ने प्रतिउत्तर दिया।
‘बस इसलिए ही तुम चार पांच लाइन से ज्यादा नहीं लिख पा रहे हो। देखो पहले इस शब्द को पकड़ो और समझो।
तुमने जो कहा वह भी गलत नहीं है, लेकिन पूरा पूरा सच भी नहीं।
असल बात तो यह है कि हर वह व्यक्ति अमीर है जिसके पास जो है वो बहुतायत में है।
जैसे किसी के पास स्वास्थ्य है तो वह अमीर है, उसके पास स्वास्थ्य नामक धन है। उसी तरह कोई कम कमाके भी चैन से सोता है मतलब वह सुकून नामक खजाने का कुबेर है।
इसी तरह कोई कवि या लेखक शब्दों से अमीर है तो कोई कलाकार अपनी कला के प्रति जुनूनी है इसलिए वह उस कला में अमीर है।
जो भी तुम्हें अपने क्षेत्र में ऊंचाइयों पर दिखता है वो उस क्षेत्र का अमीर ही है चाहे उसके पास पैसा कम हो या ज्यादा।’
‘वाह दादाजी आपने तो बहुत सही समझाया।
अब मैं तीन चार लाइन क्या तीन चार पेज लिख सकता हूं और तन्विक खुश होकर लिखने लगा क्योंकि उसे पहली बार इस शब्द का सही मतलब जो समझ आ गया था।

चिंतन मन
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